Friday, January 23, 2009

"क्या मांगें"


चांद तारों से सजे रात भला क्या मांगें
जिसको मिल जाए तेरा साथ भला क्या मांगें
लब पे आई ना दुआ और कुबुल हो जाए
अब दुआओं में उठें हाथ भला क्यों मांगें
जिसके ख्वाबों की हो तकमिल उसें क्या गम हो
मिल जाएं जिसको कायनात भला क्या मांगे
मंजिले-ए-ईश्क से आगे भी कदम क्या जाएं
रंग-ए-मेहंदी से सजे हाथ भला क्या मांगे
पा लिया जिसके अंधेरो ने रोशनी का शबाब
उसके महके हुए जज्बात भला क्या मांगे


7 comments:

  1. मंजिले-ए-ईश्क से आगे भी कदम क्या जाएं
    रंग-ए-मेहंदी से सजे हाथ भला क्या मांगे
    सुंदर !

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  2. बहुत मनोरम

    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    गुलाबी कोंपलें

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  3. मंजिले-ए-ईश्क से आगे भी कदम क्या जाएं
    रंग-ए-मेहंदी से सजे हाथ भला क्या मांगे
    पा लिया जिसके अंधेरो ने रोशनी का शबाब
    उसके महके हुए जज्बात भला क्या मांगे
    बहुत ही sunder अंदाज है .....badhaaee

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  4. लब पे आई ना दुआ और कुबुल हो जाए
    अब दुआओं में उठें हाथ भला क्यों मांगें

    क्या बात है !!!

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