
जब पत्तों की पाजेब बजी तुम याद आए,
जब सावन रूत की पवन चली तुम याद आए,
जब सावन रूत की पवन चली तुम याद आए,
जब पंछी बोले घर के सूने आंगन में तुम याद आए,
जब अमृत की एक बूंद पड़ी तुम याद आए,
रूत आई पीले फूलों की तुम याद आए,
दिनभर दुनिया के झमेलों में खोया रहा मैं,
जब शाम को दिवारों से धूप ढ़ली तब तुम याद आए....
रूत आई पीले फूलों की तुम याद आए,
ReplyDeletetum to dil mein rahte ho...........tumhaari yaad jaati hi nahi
इक इक पल बीता यादों में
ReplyDeleteन जाने तुम कब कब याद आये...
यादों से लिपटी एक भावभीनी रचना के लिये बधाई..
गुलाम अली और आशा ने इस ग़्ज़ल को बहुत अच्छे से गाया है। औडियो भी लगा देते आप तो सोने पे सुहागा हो जाता।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ... तुम याद आए।
ReplyDeletejabb bhi vo jagah dekti hu...jaha tum or main mila karte they...jab vo gana sunti hu jo tum gaya kartey they....tabb har pal ki tarah mujhe tum yaad aaye....hann mujhe tum yaad aaye
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