
धीरे से सरकती है रात उस के आंचल की तरह,
उस का चेहरा नजर आता है झील में कमल की तरह,
मुद्दतों बाद उसको देखा तो जिस्म-ओ-जान को यूं लगा,
प्यासी जमीन पे जैसे कोई बरस गया बादल की तरह,
रोज कहता है सीने पे सिर रखकर रातभर सुलाऊंगा,
सरे-शाम ही मुझे आज फिर सुला गया वो कल की तरह,
उस का शरमाना भी मुझे मात देता है,
उसकी तो हर अदा है किसी खामोश कातिल की तरह,
उस का चेहरा नजर आता है झील में कमल की तरह,
मुद्दतों बाद उसको देखा तो जिस्म-ओ-जान को यूं लगा,
प्यासी जमीन पे जैसे कोई बरस गया बादल की तरह,
रोज कहता है सीने पे सिर रखकर रातभर सुलाऊंगा,
सरे-शाम ही मुझे आज फिर सुला गया वो कल की तरह,
उस का शरमाना भी मुझे मात देता है,
उसकी तो हर अदा है किसी खामोश कातिल की तरह,
धीरे से सरकती है रात उसके आंचल की तरह...
बहुत खूब !
ReplyDeleteraat aur raat kii baat
ReplyDeleteउस का शरमाना भी मुझे मात देता है,
ReplyDeleteउसकी तो हर अदा है किसी खामोश कातिल की तरह,
waah behad khubsurat