Tuesday, April 21, 2009

"कभी दिल में बसा दिया..."


कभी नजर से गिरा दिया, कभी दिल में बसा दिया,
मोहब्बत में तुमने हमें कभी हंसा तो कभी रूला दिया,

कभी प्यार बेशुमार किया कभी दर्द बेइंतिहा दिया,
अपनी दिवानगी में तुमने हमें किस मुकाम पर पहुंचा दिया,

दिल को खिलौना समझ कर तुमने, हमें हर खेल में हरा दिया,
कभी उम्मीदों को बढ़ा दिया, कभी मायूसियों ने जीना दुश्वार किया,

फिर भी हमदम हमने तुम्हें, प्यार की हद से भी ज्यादा प्यार किया।

3 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

सुभाष चन्द्र said...

इंसानी दर्द को रूह से साक्षातकर का मार्ग प्रष्ट करता है.
रचना अच्छा है..

RAJNISH PARIHAR said...

बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति है...शायद.. प्यार में अक्सर ऐसा ही होता है...