Tuesday, October 20, 2009

मोहब्बत का गम होता बहुत है

मोहब्बत का गम होता बहुत है,

के अब ये लफ्ज भी रूसवा बहुत है,

उदासी का सबब मैं क्या बताऊं,

गली-कूचो में सन्नाटा बहुत है,

ना मिलने की कसम खा के भी मैंने,

तुझे हर राह मैंने ढूंढा बहुत है,

ये आंखें क्या देखें किसी को,

इन आंखों ने तुझे देखा बहुत है,

ना जाने क्यूं बचा रखें हैं आंसू,

शायद मुझे रोना बहुत है,

तुझे मालूम तो होगा मेरे हमदम,

तुझे एक शख्स से चाहा बहुत है।

7 comments:

  1. mohabbat shaayad gam kaa hi nam hai ........khubsoorat rachana.

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  2. उदासी का सबब मैं क्या बताऊं,
    गली-कूचो में सन्नाटा बहुत है,
    ना मिलने की कसम खा के भी मैंने,
    तुझे हर राह मैंने ढूंढा बहुत है,.......

    इसको ही मुहब्बत की इन्तेहा कहते हैं ........... लाजवाब है ..........

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  3. सटीक लिखा है .. अच्‍छा लिखा है .. बधाई !!

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  4. ना जाने क्यूं बचा रखें हैं आंसू,
    शायद मुझे रोना बहुत है
    bahut khoob

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  5. "मोहब्बत का गम होता बहुत है"- सच कहा, पर इस गम की ख्वाहिश कितनी पुरसुकून होती है, खयाल किया है !

    शानदार रचना । आभार ।

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  6. dil ke ehsas lafzon se bayan huye,bahut khub

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  7. सच कहा जी..दिल के जख्म गहरे बहुत है...

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