अपनी कमजोरी को, खुद स्वीकार नही करते हैं।दोष स्वयं के नही देखते, सदा दूसरे पर धरते हैं।गल्ती नही तुम्हारी, यह सब-जग की रीति रही है।प्यार-मुहब्बत कहने भर की, सच्ची बात यही है।।
ऊपर वाला तो सचमुच बिका हुवा है मोहब्बत के सामने क्या खूब लिखा है
अपनी कमजोरी को,
ReplyDeleteखुद स्वीकार नही करते हैं।
दोष स्वयं के नही देखते,
सदा दूसरे पर धरते हैं।
गल्ती नही तुम्हारी,
यह सब-जग की रीति रही है।
प्यार-मुहब्बत कहने भर की,
सच्ची बात यही है।।
ऊपर वाला तो सचमुच बिका हुवा है मोहब्बत के सामने
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है