मेरी आंखों पे मरता था,
मेरी बातों पे हंसता था,
ना जाने शख्स था कैसा,
मुझे खोने से डरता था,
मुझे जब भी वो मिलता था,
यही हर बार कहता था,
सुनो!!
अगर मैं भूल जाऊं तो?
अगर मैं रूठ जाऊं तो?
कभी वापिस ना आऊं तो?
भूला पाओगी ये सब कुछ?
यूं ही हंसती रहोगी क्या?
यूं ही सजती रहोगी क्या?
यही बातें हैं अब उसकी,
यही यादें हैं अब उसकी,
मुझे बस याद है इतना,
मुझे वो प्यार करती थी,
मुझे खोने से डरती थी।
मेरी बातों पे हंसता था,
ना जाने शख्स था कैसा,
मुझे खोने से डरता था,
मुझे जब भी वो मिलता था,
यही हर बार कहता था,
सुनो!!
अगर मैं भूल जाऊं तो?
अगर मैं रूठ जाऊं तो?
कभी वापिस ना आऊं तो?
भूला पाओगी ये सब कुछ?
यूं ही हंसती रहोगी क्या?
यूं ही सजती रहोगी क्या?
यही बातें हैं अब उसकी,
यही यादें हैं अब उसकी,
मुझे बस याद है इतना,
मुझे वो प्यार करती थी,
मुझे खोने से डरती थी।
5 comments:
maan ki baat kah di aap ne
gargi
लिखते रहें, शुभकामनाऐं.
बहुत मज़ा आया....
बहुत बढिया ...
बहुत सुंदर।
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