Wednesday, July 22, 2009

"रात की खामोशी रास नहीं आती"


रात की खामोशी रास नहीं आती,
मेरी परछाई भी अब मेरे पास नहीं आती,

कुछ आती है तो बस तेरी याद,
जो आकर एक पल भी मुझसे दूर नहीं जाती

6 comments:

mehek said...

bahut khub

दिगम्बर नासवा said...

खूबसूरत शेर हैं............
Welcome back .....

अनिल कान्त said...

यादें तो बस जी ऐसी ही होती हैं

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

RAJNISH PARIHAR said...

तेरे से तो तेरी यादें अच्छी.. जो आकर जाती ही नहीं,जी ऐसी ही होती है यादें...सही फ़रमाया आपने...

ओम आर्य said...

yahi ek sach hai ......yade teri aati hai par jaati nahi hai ......kya kare .......wahi sirf ek apana hai......bahut hi sundar

only shayyiri... said...

sunta hun, ab tu nahin inkaari iss baat se
koi nisbat thi kabhi, tujhko meri zaat se
....................
....................
haan mujhko bhi dekh le, jeene ki lat pad gayi
haan tune bhi kar liya, samjhota haalat se