सोनीपत के महारा गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह (24) का प्रेम अपने ही गांव की लड़की (22) से था। समान गोत्र होने के कारण लड़की के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। 2006 में दोनों ने गांव से भागकर शादी कर ली। वीरेंद्र के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज करा दिया गया। लड़की के घरवालों ने दोनों को खोज लिया। वीरेंद्र को जेल भिजवाने के बाद लड़की की शादी जींद में जयपाल नामक शख्स से कर दी गई।
जयपाल वीरेंद्र से रिश्ते के बारे में अपनी पत्नी को अपशब्द कहने लगा। परेशान होकर लड़की ने वीरेंद्र से संपर्क किया। दोनों अपने घरों से एक बार फिर भागकर दिल्ली के समयपुर बादली में रहने लगे। उन्होंने चंडीगढ़ में शादी की और हरियाणा के समालखा में बस गए। लड़की के घरवाले दोनों की तलाश शिद्दत से कर रहे थे। उनके गांव के रहने वाले इंद्रजीत नामक व्यक्ति को उनके पते का सुराग मिल गया। उसने इन दोनों से संपर्क कर उन्हें दिवाली साथ मनाने के लिए कहा।
पति-पत्नी उसकी बातों में आ गए। इंद्रजीत ने उनसे नरेला में संदीप के घर आने के लिए कहा। संदीप लड़की के चाचा का पोता यानी भतीजा है। वीरेंद्र अपनी पत्नी के साथ संदीप के घर पहुंचा। वहां इंद्रजीत और संदीप मौजूद थे। उन्हें यह मालूम नहीं था कि कुछ देर बाद लड़की के परिवार के लोग भी वहां आने वाले हैं। करीब 10 बजे लड़की का पिता दया सिंह, लड़की का 17 साल का भाई और उनके गांव में रहने वाला पवन वहां आ गए।
लड़की को जबरन दूसरे कमरे में ले जाया गया। उससे अलग कमरे में वीरेंद्र के कपड़े उतारकर उसकी जबर्दस्त पिटाई शुरू की गई। लड़की के मुताबिक, उसके भतीजे संदीप और इंद्रजीत ने उससे रेप किया। बाद में वह साइड वाले कमरे में गई तो वहां उसने वीरेंद्र को बुरी तरह पिटते देखा। उसकी पिटाई रात 3 बजे तक चली। 3:30 बजे गला घोंटकर वीरेंद्र की हत्या कर दी गई।
रात में संदीप की मारुति वैन में लाश को सोनीपत में नरा गांव के पास नहर किनारे ले जाया गया। वहां वीरेंद्र के गले में प्लास्टिक की रस्सी डालने के बाद उसे पत्थर से बांधकर नहर में फेंक दिया गया। पुलिस के मुताबिक, मुलजिमों का प्लान लड़की को भी कत्ल करना था। किसी तरह वह 22 अक्टूबर को उनके शिकंजे से भाग निकली। वह अपने किसी जानकार के पास नजफगढ़ गई। इसके बाद हिम्मत जुटाकर उसने नरेला आकर पुलिस को खबर दी।
स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर पूरण पंत और एसआई जसमोहिंदर चौधरी, दीपक मलिक आदि पुलिसकर्मियों ने नहर से वीरेंद्र की लाश निकाली। दया सिंह, संदीप, इंद्रजीत, पवन और लड़की के नाबालिग भाई को गिरफ्तार कर लिया गया है। मारुति वैन भी जब्त कर ली गई।
यह सब देखकर हैरानी होती है कि हम अपने को इंसान कहते हैं। जिसके अंदर संवेदना होती है। हम तो जानवर से भी गए गुजरे हैं। वो भी अपने बच्चों की रक्षा करता है। हम तो जानवरों से भी गए गुजरे हैं। अपने ही बच्चों की खुशियों का गला घोंटकर उससे हमें खुशी मिलती है।
7 comments:
Aise hatyaron ke liye fansi se badhkar kisi saza ka pravdhan hona chahiye..
Jai Hind
"हम तो जानवरों से भी गए गुजरे हैं।"
कही जानवर बुरा न मान जाये.
ना जाने कब तक ये अँधा खेल चलता रहेगा!आखिर हम धर्म और जाती से आगे बढ़ कर कब सोचना शुरू करेंगे?
MOUT KA YE GHINON KHEL NA JAANE KAB TAK OUR CHALEGA HAMAARE SAMAJ MEIN .... SHARM KI BAAT HAI
पढ़ने ही से रोंगटे खड़े हो गए. ऐसे रिवाज और धर्मों पर कितने सच्चे प्रेमियों की बिना कुसूर के बलि हो जाती है. बहुत दुःख होता है ऐसे नर-पिशाचों को देखकर जो दो प्रेमियों को मिलाने के विपरीत उनकी हत्या और बलात्कार में गर्व अनुभव करते हैं. धिक्कार है इन लोगों पर.
महावीर शर्मा
Dost apne apne lekhan ka KALEVAR badal lia kya>>??
Vaise bahut dinon baad aapke blog par aaya... Achchha laga...
Warm Regards
Ram K Gautam
बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
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