Wednesday, June 2, 2010

बाप-भाई ने तेजाब से जला नहर में फेंका

बुलंदशहर के एक गांव चरौरा मुस्तफाबाद में आनर किलिंग के प्रयास का मामला सामने आया है। गुलिस्तां को उसके पिता और भाई ने पहले तेजाब डालकर फूंका और फिर नहर में बहा दिया। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह पास के गांव के रवींद्र से प्यार करती थी।

पीडि़त अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। पुलिस ने उसके मां-बाप व प्रेमी को हिरासत में ले लिया है। साथ ही अस्पताल में उसकी सुरक्षा में पुलिस तैनात कर दी गई है। औरंगाबाद क्षेत्र के गांव चरौरा मुस्तफाबाद निवासी असगर की पुत्री गुलिस्तां (18) का पास के गांव मालागढ़ निवासी रवींद्र से प्रेम प्रसंग था। इस कारण गुलिस्तां पर परिजनों ने घर से निकलने का प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले सप्ताह वह रात में घर से कपड़े व नगदी लेकर निकली थी। परिजनों ने उसको गांव के बाहर दबोच लिया और जमकर पीटा। पुलिस का कहना है कि सोमवार देर रात लगभग 2 बजे पिता असगर और ताऊ का लड़का अकील उसे दिल्ली ले जाने के बहाने घर से कार में लेकर चले।

बुलंदशहर बाईपास पर कार से उतारकर पहले उसके कपड़े फाड़े फिर उस पर कैन में भरकर लाया गया तेजाब उड़ेल दिया। चिल्लाने पर उसके गले में दुपट्टे का फंदा डालकर कस दिया। फिर मृत समझकर नहर में फेंककर भाग निकले। कपड़े फाड़ने का कारण पहचान मिटाना था। गुलिस्ता कोतवाली देहात क्षेत्र में वलीपुरा गेस्ट हाउस के पास नहर के किनारे पर आकर अटक गई। सुबह नंगे बदन घिसटती हुई वह सड़क तक आ पहुंची। कराहने की आवाज सुनकर वहां लोगों की भीड़ लग गई। कोतवाली नगर पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

बाप को कोई अफसोस

पुलिस ने गुलिस्तां के पिता असगर सैफी और मां जन्नत बेगम को हिरासत में ले लिया है। असगर ने स्वीकार किया कि बेटी गलत रास्ते पर चल रही थी। सामाजिक प्रतिष्ठा के चलते उसको मारने की योजना बनाई थी। अपने कृत्य पर उसे कोई पछतावा नहीं, बल्कि गुलिस्तां के बच जाने से परेशान है। वहीं, मां जन्नत बेगम ने पुलिस को बताया कि वह अपनी बिरादरी में शादी की पक्षधर थी।

7 comments:

aarya said...

यही इनकी असलियत है | मुस्लिम लड़का हिन्दू लड़की से शादी करे तो ७२ हुर जन्नत में मिले | वहीँ लड़की को जीते जी मौत से बत्तर जीवन |
थू है इनके ..............पर | कोई भी झंडाबरदार दिखाई नहीं देगा, हिम्मत ही नहीं है सच बोलने की ...
रत्नेश त्रिपाठी

Mrityunjay Kumar Rai said...

pathetic

आचार्य उदय said...

क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।

आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !

honesty project democracy said...

सामाजिक जिम्मेवारियों का ईमानदारी से निर्वाह किसी के भी द्वारा नहीं किया जाना और समाज में बढती कटुता भी इसके लिए जिम्मेवार है ....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

ये निरुपमा-निरुपमा रटने वाला मीडिया कहाँ मर गया ?

दिगम्बर नासवा said...

शर्म की बात है ... सच है अब मीडीया वाले सोए रहेंगे ....

सूबेदार said...

इस घटना ने इनकी जाति कि असलियत बता दी है |