Wednesday, April 1, 2009

"तुम खफा हो गए तो कोई खुशी ना रहेगी"


काश! सीरत तुम्हारी इतनी प्यारी ना होती,
काश! तुम से मुलाकात हमारी ना होती,


काश! तुम्हें सपनों में ही देख लेते,
आज मुलाकात को इतनी बे-करारी ना होती,

हमारा हर लम्हा चुरा लिया तुमने,
आंखों को एक चांद दिखा दिया तुमने,

हमें जिंदगी तो दी किसी और ने,
पर इतना प्यार देकर जीना सिखा दिया तुमने,

चिरागों को और तेज कर दो,
क्यूंकि रोशनी बहुत कम है,

तमाम उम्र इंतजार तेरा मैं कर लूंगा,
फिर भी ये गम रहेगा कि जिंदगी कम है,

हमारे जख्मों की वजह भी वो है,
हमारे जख्मों की दवा भी वो है,

तुम खफा हो गए तो कोई खुशी ना रहेगी,
तेरे बिना चिरागों में रोशनी ना रहेगी,

क्या कहें क्या गुजरेगी दिल पर,
जिंदा तो रहेंगे पर जिंदगी ना रहेगी।

5 comments:

mehek said...

क्या कहें क्या गुजरेगी दिल पर,
जिंदा तो रहेंगे पर जिंदगी ना रहेगी।
bahut khubsurat se ehsaas bayan huye,badhai

दिगम्बर नासवा said...

तुम खफा हो गए तो कोई खुशी ना रहेगी,
तेरे बिना चिरागों में रोशनी ना रहेगी,

मन को छू कर निकल गयी ग़ज़ल, बेहतरीन

MANVINDER BHIMBER said...

तुम खफा हो गए तो कोई खुशी ना रहेगी,
तेरे बिना चिरागों में रोशनी ना रहेगी,
मन को छू कर निकल गयी ग़ज़ल,
बहुत सुन्दर रचना है।

Raj Gupta said...

i am impressed. i just fall in love with this ghazal.

Udan Tashtari said...

तुम खफा हो गए तो कोई खुशी ना रहेगी,
तेरे बिना चिरागों में रोशनी ना रहेगी,


-बहुत खूब!!