Thursday, April 2, 2009

"कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे"


कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे,
आंसू तेरे सारे मेरी पलकों पे सजा दे,


तु हर घड़ी हर वक्त मेरे साथ रहा है,
हां ये जिस्म कभी दूर कभी पास रहा है,


जो भी गम हैं ये तेरे उन्हें तु मेरा पता दे,
कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे,
आंसू तेरे सारे मेरी पलकों पे सजा दे,

मुझको तो तेरे चेहरे पे ये गम नहीं जचता,
जायज नहीं लगता मुझे गम से तेरा रिश्ता,

सुन मेरी गुजारिश इसे चेहरे से हटा दे,
कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे,
आंसू तेरे सारे मेरी पलकों पे सजा दे...।

6 comments:

Himanshu Pandey said...

मुझको तो तेरे चेहरे पे ये गम नहीं जचता,
जायज नहीं लगता मुझे गम से तेरा रिश्ता,

उल्लेखनीय पंक्तियां । धन्यवाद ।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

sundar, mohak

mehek said...

bahut sunder bhav

दिगम्बर नासवा said...

कुछ इस तरह तेरी पलके मेरी पलकों से मिला दे,
आंसू तेरे सारे मेरी पलकों पे सजा दे,

सुन्दर गीत की भी याद करा दी आपने..........
बहूत खूब

अमिताभ श्रीवास्तव said...
This comment has been removed by the author.
अमिताभ श्रीवास्तव said...

naasvaaji ne sahi kaha he..unhone jo panktiya spasht ki he vo is gazal ki jaan he..
aour vakai me kisi sundar geet ki yaad ho aati he..
bahut achcha likha he aapne, sadhuvaad