Saturday, April 11, 2009

अब तुम्हारी वफ़ा देखनी है


हाय जान कुछ दिनों से तुम्हारी याद इतनी बढ़ती जा रही है कि मैं बयां नहीं कर सकता। तुम्हारी आवाज सुनने को भी मेरे कान तरस रहे हैं। बहुत मुश्किल से अपने आप को सम्भाल रखा है। इसी उम्मीद में की एक ना एक दिन तुमसे जरूर मुलाकात होगी और तुम्हारा प्यारा से चेहरा मेरे सामने होगा। उस चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर बस तुमको तकता रहूंगा। जब तक ये आंखे ना थक जाएं, जब तक ये दिल ना मान जाए कि तुम मेरे पास हो। जब तक ये सांसे चलते-चलते रुक ना जाएं। फिर दिल में एक डर भी लगता है कि कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगी, कहीं तुम वक्त के साथ समझौता तो नहीं कर लोगी। क्योंकि जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन मेरी ये सांसे रूक जाएंगी दिल धकड़ना बंद कर देगा। क्योंकि तुमसे दूर रहकर भी मैं जिंदा इसीलिए हूं की तुम्हारे प्यार पर मुझे अटूट विश्वास है मुझे पता है कि तुम जिंदगी छोड़ सकती हो लेकिन मुझसे प्यार करना नहीं छोड़ सकती हो। मैं समझ सकता हूं कि मुझसे दूर रहकर तुम पर भी क्या बीतती होगी। किस तरह से तुम वहां अपना समय काटती होगी। किस तरह तुम उस नजरबंद की कैद में सांस लेती होगी।

मुझे तो पहले से ही तुम्हारी फैमली पर विश्वास नहीं था। लेकिन तुम्हारी ही जिद थी कि नहीं ये हमारी फीलिंग का समझेंगे और हमारी शादी जरूर करागें। लेकिन मैंने फिर भी तुम्हारे इस फैसले का पूरा साथ दिया। क्योंकि कहीं ना कहीं मुझे भी तुम्हारे इस विश्वास पर विश्वास था कि शायद हमारे प्यार को ये लोग समझ जाएं। लेकिन शायद इनके सीने में दिल नहीं पत्थर है। जिससे जाकर सिर्फ सिर फोड़ा जा सकता है ये नहीं समझाया जा सकता कि प्यार क्या होता है। प्यार में तड़पना क्या होता है, कितनी तड़प होती है इस प्यार में। क्योंकि जिसने कभी प्यार किया ही नहीं उसे प्यार का अहसास कैसे कराया जा सकता है। वे कहते हैं कि हमें तुझ से ज्यादा अपनी बेटी की फिक्र है। पर मुझे ये समझ नहीं आता कि ये कैसी फिक्र है कि उन्हें तुम्हारे आंसू भी दिखाई नहीं देते। तुम्हारे दिल का दर्द महसूस नहीं होता। ये कैसी फिक्र है उन्हें। मैं नहीं मानता कि उन्हें तुम्हारी या हमारे प्यार की कोई फिक्र है। उनके लिए तो सिर्फ अपनी झूठी और खोखली सामाजिक प्रतिष्ठा ज्यादा मायने रखती है। उन्हें तुम्हारी फिक्र नहीं सिर्फ अपनी उस झुठी सामाजिक प्रतिष्ठा की फिक्र है।

पर जान मुझे उनसे कोई मतलब नहीं क्योंकि मैं जनता हूं की वे ऐसे ही हैं और ऐसे ही रहेंगे। मुझे सिर्फ तुमसे मतलब है। तुम क्या चाहती हो मुझे या फिर तुम भी अपने परिवार की उस झुठी सामाजिक प्रतिष्ठा के आगे झुक जाओगी। जैसे पहले एक बार झुक गई थी। तुम्हारा जैसा फैसला होगा मुझे वो मंजूर होगा। अब पता नहीं तुमसे कब बात होगी। मैं तुमको बहुत मिस करता हूं। और मैं जनता हूं कि तुम भी मुझे बहुत मिस करती होगी। सच जान जब तुम्हारी याद बर्दाश्त नहीं हुई तब ये सब कुछ लिखा। तुमको बहुत प्यार करता हूं। और जब तक इस शरीर में जान है तब तक तुमको प्यार करता रहूंगा। तुमसे वफा की है और इस वफा को अंत तक निभाऊंगा अब सिर्फ तुम्हारी वफा देखनी है। आई लव यू

1 comment:

अजय कुमार झा said...

dekhein kitno ke munh aur man kee baat keh gayee aapkee kalam. badhiyaa likhaa hai aapne.