Friday, February 20, 2009

"एक रात हुई बरसात बहुत"


एक रात हुई बरसात बहुत
मैं रोया सारी रात बहुत

हर गम था जमाने का लेकिन
मैं तनहा था उस रात बहुत

फिर आंख से ईक सावन बरसा
जब सहर हुई तो ख्याल आया

वो बादल कितना तनहा था
जो बरसा सारी रात बहुत

3 comments:

दिगम्बर नासवा said...

फिर आंख से ईक सावन बरसा
जब सहर हुई तो ख्याल आया
वो बादल कितना तनहा था
जो बरसा सारी रात बहुत

बहूत ही खूबसूरत............
मजा आ जाता है आपके ब्लॉग पर

Anonymous said...

behad khubsurat

Udan Tashtari said...

बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.