अपनी कमजोरी को, खुद स्वीकार नही करते हैं।दोष स्वयं के नही देखते, सदा दूसरे पर धरते हैं।गल्ती नही तुम्हारी, यह सब-जग की रीति रही है।प्यार-मुहब्बत कहने भर की, सच्ची बात यही है।।
ऊपर वाला तो सचमुच बिका हुवा है मोहब्बत के सामने क्या खूब लिखा है
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2 comments:
अपनी कमजोरी को,
खुद स्वीकार नही करते हैं।
दोष स्वयं के नही देखते,
सदा दूसरे पर धरते हैं।
गल्ती नही तुम्हारी,
यह सब-जग की रीति रही है।
प्यार-मुहब्बत कहने भर की,
सच्ची बात यही है।।
ऊपर वाला तो सचमुच बिका हुवा है मोहब्बत के सामने
क्या खूब लिखा है
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