चुपचाप कहीं रखा तो है,
एक ख्वाब हमने देखा तो है,
एक ख्वाब हमने देखा तो है,
कल शाम यूं ही तनहा बैठकर,
तेरे बारे में सोचा तो है,
डूबते सूरज, उगते चांद पर,
तेरे लिए पैगाम भेजा तो है,
बहती हवा, सागर की लहरों पर,
तेरा ही नाम लिखा तो है,
आसमान को जब गौर से देखा,
तेरा ही चेहरा दिखा,
करीब का नहीं दूर से सही,
तुमसे कोई रिश्ता बना तो सही।
2 comments:
हमेशा की तरह......छोटा सा laa jawaab
सपनों में जो रिश्ते बनते,
मन पर वो छा जाते हैं।
सूरज, सागर, चाँद सभी,
दो नयनों में आ जाते हैं।
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