Monday, December 8, 2008

"उसकी आवाज"

आज दो दिन बाद फिर से 10.16 मिनट पर उसका फोन आया। कल की भी रात मैंने आँखों में निकाल दी। पता नहीं क्या हो गया है मुझे। आज कल उसके फोन आने पर भी मुझे ऐसा महसूस होता है कि जैसे वो मेरा प्यार नहीं है, वो कोई और लड़की है जिस लड़की से मैंने प्यार किया था। ये वो लड़की नहीं लगती। अब मुझे ये भी नहीं पता कि ये मेरा वहम है या सच्चाई। क्योंकि वो मुझसे अभी भी कहती है कि मैं तुमसे अभी भी बहुत प्यार करती हू। पर मुझे उस प्यार का अहसास क्यों नहीं होता। जैसे की पहले होता था। आजकल उसके हर शब्द मुझे बनावटी से लगते हैं। काश! जैसा मैं सोच रहा हूं ऐसा न हो। ये मेरा वहम ही हो तो अच्छा है। पर अगर यह सच है तो मेरे लिए जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा। आज दो महीने हो गए हैं मुझे चैन से सोए हुए। जब भी सोने के लिए आंखे बंद करता हूं तो उसी का चेहरा मेरी आंखों के सामने आ जाता है। उसकी हंसी, उसकी आंखों की चमक मुझे सोने ही नहीं देती। हर पल उस तक पहुंचने की कोशिश करता हूं। कि बस एक बार और उसे देख लूं और एक बार फिर उसको अपनी बाहों में कसकर पकड़ लूं। एक बार फिर उसे 'किस' कर लूं। पर अचानक आंखें खुल जाती है। और उसकी सारी यादें मेरी आंखों के सामने से ओझल हो जाती हैं।

आज भी जब 10.00 बजे तक उसका फोन नहीं आया तो फिर से मुझे बेचैनी होनी लगी। आज फिर से लगा कि आज भी वो फोन नहीं करेगी। घर से आते वक्त मेरा सारा ध्यान मेरे मोबाईल पर ही था। की पता नहीं कब उसका फोन आ जाए। मैं बस से उतर गया और पैदल चलने लगा। मैं अपने मन को यही समझा रहा था कि कोई बात नहीं उसका फोन जरूरी आयेगा। और जैसे की उसने मेरे मन की बात सुन ली। मोबाईल में वाईबेरेशन हुई। और मैंने जल्दी से स्क्रीन की तरफ देखा तो एसटीडी कोड देखते ही मन को सकून मिला। फोन उसी का था। मैंने फोन पिक किया। और उसे 'हाय' कहा उसने भी मुझे हाय कहा। फिर उसने मुझसे पूछा की और बताओ तुमने दो दिन क्या किया। मैंने उससे कहा तुम मेरा छोड़ों अपना बताओं तुमने दो दिनों तक क्या किया। उसने कहा मैंने तो कुछ नहीं किया। सिर्फ तुम्हें याद किया। मैंने उससे कहा झुठ बोल रही हो। उसने कहा नहीं सच्ची में तुमको ही याद किया। उसने पूछा तुमने क्या किया। मैंने कहा कुछ नहीं सिर्फ कल बेवकुफ ही तरह तुम्हारे फोन कॉल का इंतजार करता रहा। क्योंकि तुमने कहा था कि मैं तुमको कॉल करूंगी। उसने कहा हां कहा तो था पर मैं कर नहीं सकी समय नहीं मिला। फिर मैंने कहा ठीक है। फिर मैंने पूछा तुम कैसी हो, उसने कहा मैं ठीक हूं तुम कैसे हो। मैंने कहा जैसा हमेशा था वैसा ही हूं। फिर उसने कहा कि कल हम एक पड़ोसी की शादी में गए थे। मैंने कहा बहुत अच्छी बात है। तो खुब इंज्योय किया होगा। क्योंकि अब तो तुमको फोन पर परेशान करने वाला भी कोई नहीं है। उसने कहा नहीं कल पहली बार मैंने शादी में इंज्योय नहीं किया। क्योंकि तुम्हारे फोन पर परेशान करने की आदत जो हो गई है। मैंने कहा चलो जानकर खुशी हुई की तुम अभी भी मुझे 'मिस' करती हो। तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया। उसने कहा इसमें शुक्रिया की क्या बात है। मैंने कहा कि तुम अभी भी इस गरीब को याद करती हो। तो उसने भी टोन मारते हुए कहा कि 'mention not'।

पता नहीं ये मुझे क्या होता जा रहा है कि आजकल जब भी उससे बात करता हूं। मैं उससे कुछ कह ही नहीं पाता। मुझे ऐसा लगता है कि अगर मैं उससे कुछ बोला और मेरे मुंह से कुछ गलत निकल गया तो कहीं ये मुझसे बात करना बंद ना कर दे। क्योंकि आजकल मेरे अंदर गुस्सा कुछ ज्यादा ही रहता है। वो बार-बार मुझसे यही कहती रही की तुम भी कुछ बोलो मैं ही इतनी देर से बोल रही हूं। क्या तुम्हारे पास कुछ नहीं है कहने के लिए। मैंने कहा तुम बोलती रहो मुझे तो तुम्हारी आवाज सुनने का मन कर रहा है। फिर उसने कहा कि अब मैं और क्या बोलू इतनी देर से बोल ही तो रही हूं। फिर मैंने कहा चलो कोई गाना ही सुना दो। उसने कहा मुझे गाना नहीं आता। फिर मैंने कहा चलो 'फना' फिल्म की वो पंक्तियां सुना दो जो तुमने मुझे लिख कर दी थी। उसने कहा कौन सी मैंने कहा अब क्या वो भी भूल गई हो। फिर उसने दो लाईने मुझे सुनाई- तेरे हाथ में, मेरा हाथ हो....... । बस इतना ही सुना पाई।

खैर फिर काफी देर हो चुकी थी। मैंने उससे कहा- 'आई मिस यू' उसने कहा क्या मैंने फिर से कहा 'आई मिस यू' फिर उसने भी कहा हां 'आई मिस यू टू' पर अब जाना पड़ेगा क्योंकि क्लास के लिए लेट हो रही हूं। मैंने कुछ नहीं कहा मैंने कहा ठीक है- जाओ, उसने कहा तो ठीक से 'बाय' तो बोल तो। मैंने कहा बोल तो रहा हूं। 'बाय'। उसने कहा नहीं तुम दिल से नहीं बोल रहे हो। फिर मैंने कहा ओके 'बाय' 'टेक केयर', अपना ख्याल रखना मेडिसेन टाइम से खाना और खाना भी टाइम से खाना। फिर मैंने उससे पूछा की फिर कब फोन करोगी। उसने कहा थैंक गोड, मुझे तो लगा कि तुम ये भी नहीं पूछोगे। उसने मुझसे पूछा बताओ कब करू मैंने कहा, मुझे क्या पता जब तुमको मेरी याद आ जाए, जब मन करे तब कर लेना- हफ्तेभर बाद या 10 दिन बाद। उसने कहा अब तुम फिर से गुस्सा करने लगे ठीक हैं मैं तुमको कल फोन करूंगी। मैंने कहा कल चलो ठीक है मैं वेट करूंगा। फिर उसने मुझे कहा 'बाय' मैंने भी कहा 'बाय' फिर उसने कहा 'आई लव यू', मैंने भी कहा 'आई लव यू'। मैंने कहा खुश रहना। उसने भी कहा तुम भी खुश रहा करो, अपना ख्याल रखा करो। और गुस्सा मत किया करो। मुझे तुमसे डर लगता है। जब तुम ऐसी बातें करते हों। बस उसके बाद उसने कहा चलो अब तुम फोन रखो। मैंने कहा तुम रख दो उसने कहा नहीं मैं नहीं रखूंगी तुम रखो। फिर मैंने उसे 'आई लव यू' कह कर फोन कट कर दिया।

1 comment:

आशु said...

आप का ब्लॉग पड़ कर लगा जैसे अपने दिन याद आ गए ..वोही मन की बैचैनी, पा लेने की तड़प, अपने आप से बहस हर लम्हे हर पल पर हर बात को ले कर जैसे मन के अन्दर एक कशमकश..सब पढ़ कर जो एहसास हुआ हे उस से आप के दिल बात समझ सकता हूँ..

अपने एहसास यूँ ही उतारते रहें..मन तो हल्का होगा ही किसी पढने वाले को भी ज़रूर सकूं मिलेगा..