Thursday, December 25, 2008

"तेरी याद साथ है"

हाय 'जान' आज 25 दिसम्बर है यानी 'क्रिसमस' पर हमेशा की तरह आज तुम मेरे पास नहीं हो। और न ही हमेशा की तरह आज तुम्हारा कोई मैसेज आया मुझे पता है इसकी उम्मीद कम है। पर फिर भी मैं वेट कर रहा हूं। आज ऑफिस की छुट्टी है पर घर पर भी मेरा मन नहीं लग रहा। सुबह से ही तुम्हारे ख्यालों में खोया हुआ हूं। मुझे याद नहीं की पिछले 5 सालों में ऐसा कभी हुआ हो की किसी फैस्टिवल पर तुम्हारा मैसेज न आया हो या तुमसे फोन पर बात न हुई हो। पर 'जान' ऐसा अब हमारे साथ क्यों हो रहा है। 'जान' मुझे अब ऐसा महसूस होने लगा है कि जैसे हम एक-दूसरे के लिए अजनबी से हो गए हैं। 'जान' तुम्हारे साथ की ऐसी आदत सी पड़ गई है कि हर पल तुमको अपने आस-पास ढूंढने की कोशिश करता हूं कि क्या पता कब तुम मुझको दिख जाओ। 'जान' ऐसा महसूस होता है जैसे किसी ने मुझे बीच रेगिस्तान में अकेला छोड़ दिया हो और मैं उस रेगिस्तान में पागलों की तरह तुमको ढूंढ रहा हूं न कोई तुम्हारा पता बताने वाला है न कोई मदद। सिर्फ दूर रेत में तुम्हारी एक परछाई दिखाई देती है मैं उसके पीछे पागलों की तरह भागता हूं। पर वो और दूर जाती दिखाई देती है। दिल के अंदर तुमको पाने की जो उमंगे उठी थी वो फिर रेगिस्तान के रेत की उस मृगतृष्णा में खो जाती है। फिर मुझे अहसास होता है कि तुम तो वहां कभी थी ही नहीं वो तो सिर्फ मेरी एक मृगतृष्णा थी।

'जान' तुम्हारे बिना मुझे ये पूरा शहर ये दुनिया अजनबी सी लगने लगी है। तुमको एक झलक देख लूं तो इस दिल को सुकून मिल जाए। 'जान' तुमको याद है जब तुम अपने इंटरव्यू के लिए एक बार यहां आई थी पर तुम अपनी पूरी फैमली के साथ थी तुम्हारे मम्मी, पापा और तुम्हारा छोटा भाई। और मैं तुम्हारी एक झलक देखने के लिए वहां पहुंच गया था। पर तुम मुझसे पहले ही इंटरव्यू के लिए पहुंच गई थी। और मैं कम्पनी के बाहर ही खड़ा तुम्हारा इंतजार कर रहा था। मुझे याद है तुमने ग्रीन कलर का टॉप और डार्क ब्ल्यू जींस पहन रखी थी, तुम्हारे बाल खुले थे। और तुम्हारे मम्मी-पापा भी साथ में थे। जब तुम गेट से बाहर निकली तो तुम्हारी एक झलक देखकर इस दिल को कितनी खुशी मिली मैं बयां नहीं कर सकता। सबके बीच में तुमने कैसे धीरे से हंसते हुए मुझे एक हाथ से हल्के से हॉय कहा और 'फ्लांइग किस' दी थी। ये सब कुछ मात्र 1 मीनट में हो गया। और तुम स्टील ब्राउन कलर की इंडिका में बैठकर जिसपर की (उत्तराखंड) की नम्बर प्लेट लगी थी, वहां से निकल गई। (और तुमको बताना चाहता हूं कि आज भी मैं उस (यूए) नम्बर प्लेट को ही सर्च कर रहा हूं कि शायद तुम दिख जाओ) तुम अपने पीछे धुंआ और मुझे छोड़ गई। मैं कुछ देर वहीं खड़ा तुमको जाते देखता रहा। जब तक की तुम्हारी गाड़ी मेरी नजरो से गायब नहीं हो गई। फिर मैं भी वहां से निकल गया। पर मैं तुमको बताना चाहता हूं कि 'जान' तुमको जाते देखकर उस दिन मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। मैं तुम्हारा हाथ पकड़कर तुमको रोकना चाहता था पर इस जमाने की जंजीरों ने मेरे पैरों को रोक लिया। उन कुछ ही पल मैं मुझे ऐसा लगा कि जैसे दुनिया की सारी खुशियां मुझे मिल गई हों और दूसरे ही पल किसी ने वो सारी खुशियां मुझसे छीन ली हों।

'जान' मुझे उस दिन बहुत दुख हुआ जब तुमने 'मैसेज' करके मुझे बताया कि तुम्हारा इंटरव्यू तो ठीक हो गया था पर तुम्हारे पापा की वजह से तुम वहां जॉइन नहीं कर पाई। और उसी वक्त देहरादून के लिए निकल गए। उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसका दी हो। मुझे नहीं पता कि उस वक्त तुमको कैसा महसूस हुआ। पर मुझे तो ऐसा लगा था कि किसी ने मेरी सांसों को रोक दिया हो।

'जान' मैं तुमको सिर्फ ये बताना चाहता हूं कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। अपनी जिन्दगी से भी ज्यादा। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता और न ही तुमको भूल सकता हूं। और तुमसे बस यही कहना चाहता हूं कि-
''मैं जहां रहूं, मैं कहीं भी हूं, तेरी याद साथ है।
किसी से कहूं, के नहीं कहूं, ये जो दिल की बात है।
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है।
पर झुक के इस दिल में तन्हाई पलती है।

तेरी याद... साथ है, तेरी याद साथ है।

2 comments:

Vinay said...

तुम उसे रोज़ एक खुला पत्र लिखते हो क्या वह यह पढ़ती भी है? जवाब तो दो!

दिल का दर्द said...

दोस्त अभी तो उसने पढ़ा नही है. पर मुझे यकीन है की जिस दिन पढ़ लेगी उस दिन उसको भी मेरे प्यार का यकीन हो जाएगा. बाकी आप सब भी भगवान् से दुआ करो की उसको मेरे प्यार का यकीन हो जाए. क्योंकि मैं उससे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ.
और आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद!