Tuesday, December 23, 2008

"दिल की बेकरारी"

मुझे पता है आज तुम्हारा फोन नहीं आएगा। पर फिर भी ध्यान बार-बार मोबाइल कि तरफ जा रहा है। शायद तुमको भी मेरी याद आ जाए और तुम फोन कर दो। पता नहीं ऐसी बेचैनी क्यों हो रही है मुझे आजकल। किसी ने सच ही कहा है कि किसी की अहमियत इंसान को तभी होती है जब वो उससे दूर हो जाती है। और जब से तुम मुझसे दूर हुई हो तब से मुझे अहसास हुआ है कि मेरी लाईफ में तुम्हारी क्या इर्म्पोटेंस है।

'जान' क्या तुमको भी ऐसा ही अहसास नहीं होता जैसा कि मुझे हो रहा है। हमारे बीच की ये दूरियां तुमको भी बेचैन नहीं करती। पहले हम कैसे घंटो-घंटो बातें किया करते थे। मैसेज किया करते थे और जब याद ज्यादा ही बढ़ जाती थी या दोनों में से किसी की भी कॉल नहीं आती थी तो मिस कॉल दिया करते थे। और एक-दूसरे के रिप्लाई का वेट किया करते थे। आजकल तो ये सब खेल भी बंद हो गए हैं।

'जान' कल तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगा। इससे पहले दो दिन तक जब तुमसे बात नहीं हुई थी तो मेरा दिल तुमसे बात करने के लिए बहुत बेकरार था और उस बेकरारी को करार तभी मिला जब कल तुमसे बात की। आज भी उसी करिश्मे का इंतजार कर रहा हूं कि शायद फिर से तुम्हारी आवाज सुन सकूं। उम्मीद कम है पर उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है। खैर लिखने के लिए बहुत कुछ है बताने के लिए भी बहुत कुछ है। पर ये सब बेकार है जब तुम मेरे पास नहीं हो। आज का दिन इस इंतजार में निकाल दूंगा कि कल तो तुमसे बात होगी, कल तो तुम्हारी आवाज मेरे कानों को सुनाई देगी, कल तो तुम्हारी हंसी मेरे दिल को सुकून पहुंचाएगी, कल तो तुमसे अपना हाले दिल सुनाउंगा और कल तो तुम पूछोगी कि 'जान' तुमने कल क्या किया और मैं ये ही कहूंगा कि 'जान' - ''तेरा नाम लिया, तुझे याद किया, तुझे याद किया तेरा नाम लिया......................ओ हो.. हो... तेरा नाम लिया।'' 'आई लव यू' 'जान', 'आई मिस यू'।

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