Thursday, December 18, 2008

"आशा की किरण"

आज कल दिल की धड़कने फिर से तेज होने लगी हैं। बेचैनी भी बढ़ने लगी है। बस हर पल उसी के बारे में सोचने के सिवा और कुछ नहीं करता। चाहता हूं कि बस उसको किसी तरह विश्वास दिला दूं कि मैं उसे कितना प्यार करता हूं। उसे मेरे प्यार पर यकीन हो जाए। और वो जो मुझसे दूर जा रही है वापस मेरे पास आ जाए। अब यही लगता है कि अगर वो नहीं तो मैं इस दुनिया में जीकर क्या करूं और जीवन का अन्त करने मन करता है। बस यही कशमकश दिल के अन्दर चल रही है।

आज जब 10:23 मिनट पर उसका फोन आया तो मैं उसी के ख्यालों में खोया हुआ था। मैंने फोन पिक किया और 'हाय' कहा। उसने भी 'हाय' कहा। फिर मैंने उससे पूछा कि अब तुम्हारी तबियत कैसी है। उसने कहा मैं अब ठीक हूं, तुम कैसे हो। मैंने कहा मैं ठीक हूं। पर पता नहीं अब मैं उससे बात नहीं कर पाता। मेरी आवाज अपने आप धीमी हो जाती है। शायद उसको भी इसका अहसास हो गया था। उसने कहा कल तुमको क्या हो गया था। मैंने कहा कुछ नहीं। उसने कहा नहीं कल भी तुम्हारी आवाज बहुत धीमी आ रही थी। और आज भी ऐसा ही लग रहा है। कहीं तुम रो तो नहीं रहे। मैंने कहा नहीं उसने कहा तुम झुठ मत बोला मुझे पता है की तुम रो रहे थे। उसने कहा प्लीज तुम रोया मत करो मुझे दिल में कुछ-कुछ होता है। मैंने कहा मैं नहीं रो रहा। फिर मैंने उससे कहा कि 'जान' 'आई लव यू' मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। उसने कहा 'जान' 'आई लव यू टू' मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आती है। और तुम चिंता मत करो मैं तुमको कभी नहीं छोडूंगी। हमेशा तुमसे बात करती रहूंगी। फिर मैंने उसे कहा मैं तुमसे दूर रह कर नहीं जी सकता। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं। तुम्हारे पास रहना चाहता हूं। प्लीज तुम मेरी फीलिंग को समझो। मैंने उसको समझाया कि 'जान' पिछले पांच सालों में मैंने सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचने के सिवा कुछ भी नहीं किया है। सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचा है। और तुम मुझे बीच रास्ते में छोड़कर मत जाओं। मैं नहीं जी पाउंगा तुम्हारे बिना। 'जान' 'आई लव यू' और तुमको बहुत 'मिस' करता हूं। तुम्हारे सिवा मेरी लाईफ में और कोई भी इर्म्पोटिड नहीं है। सबसे ज्यादा तुम इर्म्पोटिड हो। 'जान' 'प्लीज' मुझे बीच रास्ते में मत छोड़ों।

उसने कहा प्लीज तुम ऐसी बाते मत करो। मैंने भी तुमसे सच्चा प्यार किया था। करती हूं और हमेशा करती रहूंगी। उसने कहा तुम ही मेरा पहला और आखरी प्यार हो। पर तुम रोया मत करो। तुम हंसते हुए अच्छे लगते हो। मैंने कहा 'जान' मेरा अब जीने का मन नहीं करता। तुमसे दूर रहकर अब मैं और नहीं जी सकता। मुझे सिर्फ तुम्हारे साथ रहना है। नहीं तो मेरे लिए इस लाईफ का कोई मीनिंग नहीं। उसने कहा प्लीज तुम ऐसी बातें मत किया करो। नहीं तो मुझे गुस्सा आ जाएगा। और मैं तुम्हारी पीटाई कर दूंगी। तुम खुश रहा करो। मैंने कहा नहीं जान अब मैं नहीं जीना चाहता। फिर उसने कहा कि अगर मैं तुमसे शादी करना चाहूं तो भी नहीं। ये सुनकर मैं आश्चर्यचकित हो गया। मैंने कहा तुम सच कह रही हो या फिर से मजाक कर रही हो। उसने कहा मैं सच कह रही हूं। मैंने कहा खाओ मेरी कसम उसने कहा पहले तुम मेरी कसम खाओं की कभी रोओगे नहीं। मैंने उससे कहा 'जान' मैं तुम्हारी कसम नहीं खा सकता। क्योंकि जब भी तुम्हारी याद आती है तो मेरी आंखों से आंसू निकल जाते हैं। पर तुम मेरी कसम खाओं की तुम मुझसे ही शादी करोगी। उसने कहा हां जब मैं ठीक हो जाउंगी और जब मेरी मम्मी-पापा मेरे लिए रिश्ता ढूंढेंगे तो सबसे पहला नाम तुम्हारा होगा। मैंने कहा और इसमें कितना टाईम लगेगा। उसने कहा मुझे नहीं पता। पर इससे पहले अगर तुम्हारी शादी हो गई तो तुम कर लेना। मैं तुमको लटकाना भी नहीं चाहती। मैंने उससे कहा कि तुम फिर ऐसी बात मत कहो इसका मतलब तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहती। उसने कहा मैं सिर्फ कह रही हूं क्योंकि तुम्हारी भी तो 'ऐज' निकल रही है। मैंने कहा मैं तुम्हारे लिए जिन्दगी भर वेट कर सकता हूं। उसने कहा ठीक है। जब भी मेरे घरवाले मेरे लिए रिश्ता सर्च करेंगे तो तुम सबसे पहले होंगे। और मैं तुमको अपने घरवालों से भी मिलवाऊंगी। अब हंसो और हमेशा खुश रहा करो। मैं तुमको कभी नहीं छोडूंगी। फिर मैंने उससे कहा 'आई लव यू' 'जान' उसने भी 'आई लव यू' कहा। और कहा चलो अब मैं चलती हूं कल बात करूंगी। अब क्लास के लिए लेट हो रही हूं।

आज उसकी बात सुनकर मुझे घनघोर अंधेरे में आशा की एक किरण दिखी। काश! भगवान कुछ चमत्कार दिखा दे और जो वो कह रही है वो सच हो जाए। वो हमेशा के लिए मेरी हो जाए। तो ये दर्दे दिल का दर्द कम हो जाए। बस भगवान से यही दुआ है मेरी की वो आज की बात को सच कर दे।

2 comments:

मुकेश कुमार तिवारी said...

इस बेनाम सी हस्ती को प्रणाम.

जिससे ना बात की जा सकती है ना ई-मेल किया जा सकता है.

आशा की किरण जरुर जगमगायेगी, एक अच्छी रचना जो धारा के प्रवाह को बनाये रखती है और पाठक को बांधे भी रखती है.

मुझे एक बात यह समझ नही आयी कि एक वाक्य में जान कहती है कि ठीक होने के बाद शादी करेगी और अंत में उसी जान का यह कहना कि मैं क्लास के लिये लेट हो रहीं हूँ. यदि आप ठीक समझे तो बतायेगा.

मुकेश कुमार तिवारी

दिल का दर्द said...

मुकेशजी वैसे आपके सारे प्रश्नों का उत्तार मेरे ब्लॉग पर ही है पर उसके लिए शायद आपको मेरी सारी पोस्ट पढ़नी पडेगी जो कि शायद मुमकिन नहीं है। आपको मेरी रचना पसंद आई इसके लिए आपका सहृदय धन्यवाद। 'जान' इसलिए यह कह रही थी कि वो लगभग 45 मिनट से देहरादून की एसटीडी से मुझसे बात कर रही थी। और मैं दिल्ली में रहता हूं। और सिर्फ यही एक टाईम उसके पास होता है जब वो अपने घर से अपनी क्लास के लिए निकलती है और मुझसे एसटीडी से बात करती है। और उसी क्लास में उसकी एक कर्जन भी पढ़ती है। और अगर वो क्लास में लेट हो जाए तो वो घर पर फोन करके पूछ लेती है। इसलिए उसका क्लास में टाईम पर पहुंचना जरूरी होता है।

मुकेशजी अगर आप मुझसे बात करना चाहते हैं तो आप मुझे dardkadil@gmail.com, or meradardedil@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं. मुझे खुशी होगी आपके साथ अपनी फीलिंग शेयर करने में.