'जान' सोच रहा था कि तुम आज भी फोन करोगी पर अभी तक तो नहीं आया। मुझे पता है कि तुम्हारी भी मजबूरी है। और ये भी पता है कि तुम भी मुझको
'मिस' कर रही होगी। पर पता नहीं इस
दिल को आजकल क्या हो गया है। तुम एक दिन भी फोन नहीं करती हो तो इसके अंदर जाने कैसे-कैसे विचार आने लगते हैं। कहीं तुम मुझे भूल तो नहीं गई। कहीं तुम किसी मुसीबत में तो नहीं हो। हर समय ऐसे ही विचार इस
दिल के अंदर आते रहते हैं। मुझे हर पल तुम्हारी ही
फिक्र रहती है। कहीं तुम मुझसे दूर ना हो जाओ। कहीं मैं तुमको खो ना दूं। हर वक्त तुम्हारी यादों को अपने इस
दिल में सम्भाल कर रखता हूं, कि कहीं किसी की नजर ना लग जाए। बस तुमसे एक ही आशा रखता हूं कि
प्लीज तुम मुझे बीच मझधार में छोड़कर मत जाना। हमेशा मेरा साथ देना। मैं अपनी ये जिन्दगी तुम्हारे साथ जीना चाहता हूं। तुम्हारे साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना चाहता हूं। तुम्हें अपने जीवनभर का साथी बनाना चाहता हूं। अपनी सारी
खुशियां और गम तुम्हारे साथ मिलकर बांटना चाहता हूं। तुम अगर रूठ हो जाओं तो तुमको
प्यार से मनाना चाहता हूं। और चाहता हूं कि अगर कभी मैं भी रूठ जाऊं तो तुम मुझे मनाओं।
'जान' इस
दिल अक्सर ऐसे ही भाव उठते हैं और कहते हैं-
खामोशियां तेरी मुझसे बात करती हैं,मेरी हर आह हर दर्द समझती हैं,
पता है मजबूर है तू भी और मैं भी,
फिर भी आंखें तेरे दीदार को तरसती हैं।
जान पता है जबसे ये दूरियां हमारे बीच में आई हैं तब से मैं चैन से सो नहीं पाया हूं। हर पल तुम्हें ही याद किया है। काश! तुम्हें अपना दिल चीर कर दिखा सकता तो दिखाता कि इस दिल में सिर्फ तू ही तू बसी है।
'जान' अपना ख्याल रखना। हो सके तो बीच-बीच में हमें भी याद करना। 'आई लव यू' जान 'आई मिस यू'।
2 comments:
बहुत सुन्दर रचना , आपको बहुत बधाई
विजय
अरे waah ...बहुत अच्छा लिखा है आपने .......
Post a Comment