जब रात के तनहा लम्हों में,
कोई आहट मुझ से कहती है,
इस दिल में हलचल रहती है,
कोई जुगनू पास से गुजरे तो,
कोई बात गले से निकले तो,
मैं खुद से उलझने लगता हूं,
फिर जाने क्या-क्या कहता हूं,
फिर याद उसी की आती है,
फिर पल दो पल के लम्हें को,
ये सांस मेरी रूक जाती है,
फिर वहम मुझे ये कहता है,
कोई मेरे दिल में रहता है,
कोई आहट मुझ से कहती है,
इस दिल में हलचल रहती है,
कोई जुगनू पास से गुजरे तो,
कोई बात गले से निकले तो,
मैं खुद से उलझने लगता हूं,
फिर जाने क्या-क्या कहता हूं,
फिर याद उसी की आती है,
फिर पल दो पल के लम्हें को,
ये सांस मेरी रूक जाती है,
फिर वहम मुझे ये कहता है,
कोई मेरे दिल में रहता है,
कोई मेरे दिल में रहता है...
6 comments:
कोई दिल में रहता है ...उन्दा रचना । बधाईयां जी
bahut achha likte ho dil ki bat.
उम्दा जनाब............
आपकी हर बात पढने में मजा आता है, अपना परिचय तो दीजिये जनाब.
आपका हर चित्र बहुत खूबसूरत होता है, दिलकश होता है आपकी नज्म की तरह
बहुत बढ़िया रचना.
behad sundar
in rachnao ko padh kar lagta h...ki koi sachh main aap ke dill main rahta h....vo ese hi aapke dill main basa rahe esi ummeed kartey h...or aap ek dussre ko yuhi bayintha mohhbat kartey rahe esi ummeed kartey h....
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