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Tuesday, March 17, 2009
"तेरी आंखों की चमक..."
तेरी आंखों की चमक ऐसी,
जैसे अंबर में चमके तारा,
तेरे चेहरे का नूर ऐसा,
जैसे चांद का जन्म दुबारा,
तु बंद आंख का ख्वाब,
या जन्नत का कोई नजारा।
3 comments:
Anonymous said...
sunder ehsaas.
March 17, 2009 at 4:35 PM
दिगम्बर नासवा
said...
बहोत खूब सुंदर अभिव्यक्ति है
March 17, 2009 at 5:57 PM
Udan Tashtari
said...
बढ़िया!!
March 17, 2009 at 9:16 PM
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"मैं मोहब्बत हूं..."
"मैं तो आशिक हूं दिवाना ना बनाना मुझको"
"मैंने सिर्फ और सिर्फ तुमसे मोहब्बत की है"
"आवारा बादल हूं मैं..."
"रोना भी जो चाहूं तो वो रोने नहीं देता"
हमें जीने नहीं देती है ये गुजरी हुई यादें"
"मुझे चांद कहो या जान कहो"
"तेरी याद आती है..."
"तुम हो तो सब कुछ है, वरना कुछ नहीं"
"अपने हाथों से यूं चहरे को छुपाते क्यूं हो"
"कुछ बातें"
"कहीं से आ जाओ"
"तेरी आंखों की चमक..."
"धीरे से सरकती है रात उस के आंचल की तरह"
"मुझे बाहों में बिखर जाने दो"
"आ मेरी रूह पे अपनी मोहब्बत का पहरा कर दे"
"तुझे चाहते हैं"
"तेरे दिल की हर बात जानता हूं मैं"
"वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ ना करे..."
"एक बात कहूं अगर सुनते हो"
"तुम बिन जीना ऐसा है"
"तुम याद आए..."
"कोई मेरे दिल में रहता है"
"ख्वाबों का एक..."
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कुछ इस तरह...
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई...
दो प्यार करने वालो को...
3 comments:
sunder ehsaas.
बहोत खूब सुंदर अभिव्यक्ति है
बढ़िया!!
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