Saturday, January 31, 2009

"हर पल के लिए"


चले गए हो दूर कुछ पल के लिए,

दूर रहकर भी करीब हो हर पल के लिए,

कैसे याद न आए आपकी एक पल के लिए,

जब दिल में हो आप हर पल के लिए।

Friday, January 30, 2009

"सीने में सांसें भी पराई सी लगती हैं"


यादों की धुंध में आपकी परछाईं सी लगती है,

कानों में गूंजती शहनाई सी लगती है,

आप करीब हैं तो अपनापन है,

वरना सीने में सांसें भी पराई सी लगती हैं।

Thursday, January 29, 2009

"अब रहा नहीं जाता"


जब-जब घिरे बादल तेरी याद आई,

जब झूम के बरसा सावन तेरी याद आई,

जब-जब मैं भीगा तेरी याद आई,

अब रहा नहीं जाता जान लौट के आ जा।

Wednesday, January 28, 2009

"तुम हो..."


मेरा सावन भी तुम हो, मेरी प्यास भी तुम हो,
सहरा की बाहों में छुपी आस भी तुम हो,

तुम यूं तो बहुत दूर, बहुत दूर हो मुझसे,
अहसास ये होता है, मेरे पास भी तुम हो,

हर जख्म के आगोश में है दर्द तुम्हारा,
हर दर्द में तसकीन का अहसास भी तुम हो,

खो जाओं तो वीरान सी हो जाती हैं राहें,
मिल जाओं तो फिर जीने का अहसास भी तुम हो,

लिखता हूं तो तुम ही उतरते हो कलम से,
पढ़ता हूं तो लफ्ज भी तुम, आवाज भी तुम हो...!

Tuesday, January 27, 2009

"दिल अभी उदास है"


दिल अभी उदास है,
और वक्त बीता नहीं।
नसीब की किताब से,
हिसाब जीता नहीं।


टूटा है जब भ्रम,
आंखे होती हैं क्यूं नम।
क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।

ये कौन से सवाल हैं,
जवाब सूझता नहीं।
जहां भर की बात की,
जो बात थी नहीं कही।

वो कौन सी है बेबसी,
वो कौन सा अजब है।
की जिसके रू से आज,
मेरा नाम भी खराब है।

दिल अभी उदास है.......

Saturday, January 24, 2009

"क्या तुम भी मेरे बिना उदास रहते हो"


बहुत दूर मगर बहुत पास रहते हो,
आंखों से दूर मगर दिल के पास रहते हो,
मुझे बस इतना बता दो क्या,
तुम भी मेरे बिना उदास रहते हो।

Friday, January 23, 2009

"क्या मांगें"


चांद तारों से सजे रात भला क्या मांगें
जिसको मिल जाए तेरा साथ भला क्या मांगें
लब पे आई ना दुआ और कुबुल हो जाए
अब दुआओं में उठें हाथ भला क्यों मांगें
जिसके ख्वाबों की हो तकमिल उसें क्या गम हो
मिल जाएं जिसको कायनात भला क्या मांगे
मंजिले-ए-ईश्क से आगे भी कदम क्या जाएं
रंग-ए-मेहंदी से सजे हाथ भला क्या मांगे
पा लिया जिसके अंधेरो ने रोशनी का शबाब
उसके महके हुए जज्बात भला क्या मांगे


Thursday, January 22, 2009

"दिल-ए-नादान अजब जुस्तजू में क्यूँ है"


दिल-ए-नादान अजब जुस्तजू में क्यूँ है
तुझसे शौक-ए-गुफ्तगु में क्यूँ है
मैंने चाहा है बहुत तुझ को
तु मेरी हर एक आरजू में है
तु मेरे साथ है तो लगता है ऐसे
एक उजाला सा मेरी रूह में है
जुदा खुद से करूं तो कैसे करूं
तेरी चाहत तो गर्दिश-ए-लहू में है।

Wednesday, January 21, 2009

"मुझे अपने प्यार की पनाहों में रखना"


एक हंसीन ख्वाब बना कर तुम
मुझे हर पल अपनी निगाहों में रखना
छू ना सके मुझे ये हवाऐं बहकी सी
मुझे कैद अपनी पनाहों में रखना

मैं खाक हूं बिखर ना जाऊं कहीं
मुझे समेट कर अपनी बाहों में रखना
जो करो तुम मोहब्बत हदों से गुजर कर
मेरा नाम तुम अपनी खताओं में रखना
मैं करता हूं अहसास तुम्हारा
तुम भी मुझे याद अपनी दुआओं में करना
कभी जुदा ना करे गर्दिशे जमाना
मुझे अपने प्यार की पनाहों में रखना

Tuesday, January 20, 2009

"दिल अपने आप धड़कता है, धडकाया नहीं जाता"


दिल अपने आप धड़कता है, धडकाया नहीं जाता
ये राज-ए-मोहब्बत हर एक को बताया नहीं जाता

अगर अहसास हो तो, मोहब्बत को कर लो महसूस
ये वो जज्बा है जो लफ्जो में समझाया नहीं जाता
बहुत कम हैं लोग जो दिल में उतर जाते हैं
हर राह चलते को अपना बनाया नहीं जाता

कोशिश से बदल जाती हैं तकदीरे
दे कर इल्जाम किस्मत को और दिल को भुलाया नहीं जाता

Sunday, January 18, 2009

"तेरी बांहों में मर जाएं हम"


जान तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। कल का पता नहीं क्या होगा। बस बार-बार भगवान से यही दुआ कर रहा हूं कि भगवान मेरा साथ देना तुमसे मेरा मिलन करा देना। जान तुमसे जुदा होकर नहीं रह पाउंगा। प्लीज मेरा साथ कभी मत छोड़ना। जान मेरी बस यही तमन्ना है कि अगर मेरी मौत भी हो तो वो तुम्हारी बाहों में ही हो। आखिर में तुमसे यही कहना चाहता हूं कि आई लव यू। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। तुमको बहुत मिस करता हूं।


तुझे देखा तो ये जाना सनम,

प्यार होता है दीवाना सनम,

अब यहां से कहां जाएं हम,

तेरी बांहों में मर जाएं हम।

Saturday, January 17, 2009

"क्या होगा मेरी मोहब्बत का अंजाम"

पता नहीं इसको खुशी कहूं या गम कुछ समझ नहीं आ रहा है। कल सुबह ही उससे बात की थी। और वो भी बहुत खुश थी। और उसने कहा था कि वो दोपहर को मुझसे बात करेगी। पर 2 बजे तक भी जब उसका फोन नहीं आया तो हमेशा की तरह मेरी बेचैनी फिर से बढ़ गई। मैंने उसके मोबाइल पर फोन किया। पर बैल बज कर कट गया। थोड़ी देर बाद उसका एक मैसेज आया उसमें उसने लिखा था- ''जान आज क्लास देर से खत्म हुई थी और उसके बाद कर्जन बाहर आकर बातें करने लगी इसलिए तुमको बता नहीं सकी अब घर आ गई हूं, तुम खाना खा लेना।'' मुझे मैसेज पढ़कर थोडा सुकून मिला।

फिर काफी देर तक उसका कोई रिप्लाई नहीं आया। मुझे फिर से टेन्शन होने लगी। मैंने फिर से उसे कॉल की पर उसका मोबाइल Not Reachable जा रहा था। काफी देर बाद मैंने फिर से कॉल की तो उसके बाद Switch Off हो गया। बहुत देर तक मैं ट्राई करता रहा पर मुझे कोई रिस्पाँस नहीं मिला। थोड़ी देर बाद फिर से उसका एक मैसेज आया- ''जान घर पर पता चल गया, पता नहीं कैसे प्लीज मेरा साथ देना''।

मैंने तुरंत उसे कॉल की उसने फोन पिक करते ही मुझे कहा कि जान घर में पता चल गया है। मुझे नहीं पता कि कैसे। तुम अभी कॉल मत करना। मैं बाद में बताउंगी। मुझे हमेशा से जिसका डर लगा रहता था। फिर से वो ही हो गया। तीन महीने पहले जैसी परिस्थिति थी फिर से वो ही नजर आने लगी। लगा कि अब इसको मैंने हमेशा के लिए खो दिया। जीने की इच्छा ही खत्म हो गई। मेरी सारी हिम्मत जवाब दे गई। कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या करूं। दूसरे रूम में जाकर चुपचाप अकेला कुर्सी पर बैठकर आंखे बंद करके पुरानी यादों में खो गया। वो सब खुशी के पल मेरे सामने आ गए जब वो मेरे साथ थी और मैं उसके।

शाम को उसका फिर से मैसेज आया उसने लिखा कि मेरा मोबाइल पापा ने भाई को दे दिया है और उसके भाई का मोबाइल मेरे पास है। और मैंने घर में बता दिया है कि वो मुझसे Sorry बोलने के लिए मुझे फोन कर रहा था। और आपसे भी माफी मांगना चाहता है। मैं उससे अभी भी प्यार करती हूं और वो भी मुझे प्यार करता है। और मैं उससे शादी करना चाहती हूं। उसे एक मौका और मिलना चाहिए। उसके पापा ने कहा कि ठीक है अगर तुम दोनो एक-दूसरे से प्यार करते हो तो हम उससे मिलना चाहते हैं। पर पहले तुम्हारा भाई उससे बात करेगा। मैंने उसे कॉल की और उसने मुझे बताया कि तुम सोमवार को मेरे नम्बर पर फोन करना और मेरे भाई से बात करना। उसके बाद पापा बात करेंगे। मैंने उससे कहा जान मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी पूरी फैमली से माफी मांगने को तैयार हूं। पर तुम मुझसे कभी जुदा मत होना हमेशा मेरा साथ देना। तुम पीछे मत हटना। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। उसने कहा मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी। मैंने कहा ठीक है फिर मैं सोमवार को तुम्हारे भाई से बात करूंगा। उसने कहा बेस्ट ऑफ लक। सोमवार को तुम्हारा फाइनल Exam है।

मुझे नहीं पता कि सोमवार को क्या होने वाला है। लकिन उसको हमेशा के लिए खो देने के ख्याल से ही दिल में दर्द होने लगता है। मुझे ये भी नहीं पता कि मैं उसके भाई से क्या बात करूंगा। कल की पूरी रात जागता रहा। यही सोचता रहा कि उसके भाई और पापा से क्या बात करूं की उनको भी मेरे प्यार का यकीन आ जाए। उनको भी विश्वास हो जाए कि उनकी बेटी ने किसी गलत व्यक्ति का चुनाव नहीं किया है। उनको यकीन आ जाए कि मैं हमेशा उसको खुश रखूंगा। अपनी जिंदगी से भी ज्यादा मैं उसको चाहता हूं। उनको कैसे समझाऊ की हम दोनो एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते जैसे की मछलियां पानी के बिना नहीं रह सकती उसी तरह हम भी एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते।

सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया है। हो सकता है ये भी उनकी ही कोई माया हो। इतने दिन से सच्चे दिल से जो मैं उनकी पुजा अर्चना कर रहा हूं उनको शायद मुझ पर दया आ गई हो। और उन्होंने ही ये मार्ग बनाकर मुझे दिया हो। क्या पता वो मुझे हमेशा के लिए मिल जाए। और हमारी ये जुदाई समाप्त हो जाए। और मेरी भी तीन महीने की तपस्या का मुझे फल मिल जाए। सांई बाबा हम पर कृपा करें। अब या तो मेरे इस प्यार की पूरी जीत होगी या फिर पूरी हार।

हो सकता है सोमवार के बाद दुबारा कभी न लिख सकूं। आप सब से विनती है कि मेरे लिए भगवान से दुआ करें कि मेरा प्यार मुझे मिल जाए। और इस दर्दे दिल का दर्द हमेशा के लिए ठीक हो जाए।

Friday, January 16, 2009

"हमारी दुआ कुबूल हो"

कल दोपहर 1 बजे तक जब उसका कोई मैसेज नहीं आया तो मेरी बेचैनी फिर से बढ़ गई। क्योंकि जैसाकि सुबह मैंने उससे बात की थी उसने बताया था कि आज वो शॉप पर जाकर अपना मोबाइल रिचार्ज करवाएगी। क्योंकि इतने दिनों से उसके मोबाइल से न तो मेरे मोबाइल पर कॉल हो पा रही है न ही मिस कॉल। सिर्फ मैसेज ही हो पाते हैं। क्योंकि अपने भाई को उसने दो बार रिचार्ज के लिए पैसे दिए पर उसने एक बार भी रिचार्ज नहीं करवाया और बोल दिया कि मैंने रिचार्ज करवा दिया। इसलिए मैंने उसको बोला कि तुम खुद जाकर अपना रिचार्ज करवाओं उसकी बातों में मत आना वो झुठ बोल रहा है। इसलिए जब क्लास के बाद 1.20 तक भी उसका कोई मैसेज नहीं आया तो मेरी टेन्शन बढ़ने लगी मैंने उसे दुबारा कॉल की पर उसने नहीं उठाया। ऐसे ही मेरे 4-5 बार कॉल करने पर भी कोई रिस्पोंस नहीं मिला। अब मेरी घबराहट और बढ़ गई क्योंकि ऐसा कभी नहीं हुआ कि वो मेरा फोन पिक न करे। उसके 10 मिनट बाद मैंने जब फिर से नम्बर मिलाया तो वो Switch Off बताने लगा। बस उसके बाद तो मेरी हालत खराब हो गई आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा। दिल की धड़कने अचानक इतनी तेज चलने लगी जैसी शताब्दी ट्रेन। इतनी ठण्ड के बावजूद अचानक पूरा शरीर पसीने से भीग गया। जमीन ऐसे लगने लगी जैसे की घूम रही हो। एक जगह आराम से बैठने का भी मन नहीं कर रहा था। और मैं इधर उधर पागलों की तरह घूमने लगा पर कहीं भी मुझे चैन नहीं मिला। लंच का टाईम हो रहा था पर मुझे कुछ भी खाने या पीने का मन नहीं कर रहा था। मुझे बस ये लग रहा था कि किसी तरह उससे एक बार बात कर लूं उसका कोई मैसेज आ जाए। मन में तरह-तरह के विचार आने लगे। कहीं उसका मोबाइल उसके घर वालो के पास तो नहीं चला गया। कहीं फिर से उसके घरवालों को सब कुछ पता तो नहीं चल गया। कहीं हम फिर से तो हमेशा के लिए अलग नहीं हो जाएंगे। बस यही सब सोच-सोचकर मेरा दिल बैठा जा रहा था। जीने की इच्छा खत्म सी होती जा रही थी। उन कुछ पलों मैं पता नहीं मैं कितनी बार मरा। तभी कुछ मिनट बाद उसका मैसेज आया उसने लिखा कि-

''जान क्लास से तो निकल गई हूं पर मेरी कर्जन मेरे साथ है इसलिए मैं फोन पिक नहीं कर पाई Sorry तुम खाना खा लेना।''

उस मैसेज को पढ़कर मेरी जान में जान आई और दिल को सुकून मिला। उसके बाद मैंने दुबारा उसको कोई कॉल नहीं की डर लग रहा था कि कहीं उसका मोबाइल किसी और के पास न हो। फिर शाम को दुबारा उसका एक मैसेज आया-

''जान Sorry फोन पिक नहीं कर पाई मैं कर्जन के साथ थी, जानू अभी कर्जन के साथ ''हर श्रीनाथ जी'' की दरगाह से आई। तुम्हें मांगने गई थी, माथा टेक कर आए। जान गुस्सा तो नहीं हो प्लीज मत होना मुझे समझों आई लव यू''

ये मैसेज पढ़कर मैं बहुत खुश हुआ। यानी वो भी हमारे रिश्तें को बचाना चाहती है। इसका मतलब वो भी चाहती है कि हम दोनों एक हो जाएं। और इसके लिए वो भी दरगाह पर जाकर अपना माथा टेक कर मुझे मांगती है। मेरे दिल से तो यही दुआ निकली की भगवान हमारी दुआ कुबूल हो। हमको कभी अलग मत करना। हम दोनों का साथ हमेशा बनाए रखना। उसके बाद मैंने उसे शाम को फिर से फोन किया और उसने मुझे पूरे दिन की सारी कहानी बताई की कैसे आज उसकी कर्जन उसके साथ ही घर पर आ गई थी और पूरा दिन उसी के साथ थी और फिर हम दोनों ''हर श्रीनाथ जी'' की दरगाह पर गए और मैंने माथा टेक कर तुमको मांगा। हम काफी देर तक बातें करते रहे। पता नहीं आजकल क्या हो गया है बस हर पल ऐसा लगता है कि उसी से बात करता रहूं। कुछ देर भी उससे बात नहीं करता हूं तो बेचैन हो जाता हूं। बस भगवान से यही दुआ है कि हमारी दुआ कुबूल हो।

Thursday, January 15, 2009

"पर उसका मैसेज नहीं आया"

कल मकर सक्रांति की छुट्टी थी पर घर पर मन नहीं लग रहा था। उसकी भी कल इंस्ट्टीयूट की छुट्टी थी। इस कारण बात होना भी मुश्किल था। पर कल उसका एक जगह इंटरव्यू था। ये उसने मुझे परसो ही बता दिया था। इंटरव्यू के कारण वो बहुत Tense थी मैंने उसका Resume बनाकर उसको send कर दिया था जिसका प्रिंट उसने कल दोपहर में निकलवा लिया था। उसका पहला इंटरव्यू था इस कारण वो काफी परेशान थी। मैंने उसे प्यार से समझाया कि जान इंटरव्यू ही तो है इसमें इतना घबराने की कौन सी बात है। तुम परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा। पर उसकी एक परेशानी और थी कल वो अपनी मम्मी की घड़ी पहनकर गई थी क्योंकि उसकी घड़ी खराब थी। और वो घड़ी उससे कहीं गुम हो गई। उसने मुझे फोन पर बताया कि जान मम्मी की घड़ी मुझसे गुम हो गई है। और घर जाकर मुझे बहुत डांट पड़ेगी। मैंने कहा कि घड़ी ही तो थी। गुम हो गई तो हो जाने दो इसमें तुम्हारी क्या गलती है। तुम परेशान मत हो और ठीक से इंटरव्यू के लिए जाओ।

इंटरव्यू के बाद मैंने उसे फिर से फोन किया। उसने मुझे बताया कि इंटरव्यू तो ठीक हो गया है। इसका रिजल्ट वो बाद में फोन से बताएंगे। मैंने कहा ठीक है चलो अब इंटरव्यू हो गया ना अब तो अच्छा लग रहा है ना। उसने कहा हां अब अच्छा लग रहा है पर मुझे घड़ी खाने का डर लग रहा है। घर पर आज डांट पड़ेगी। मैंने उसे फिर से समझाया कि तुम ज्यादा परेशान मत हो जो होगा ठीक होगा। तुम घर पहुंचकर मुझे मैसेज से बता देना की ठीकठाक पहुंच गई हो और जाकर खाना भी खा लेना। उसने कहा हां मैं घर पहुंच कर तुमको मैसेज कर दूंगी। पर मैं शाम तक वेट करता रहा उसका मैसेज नहीं आया। अब मेरी टेन्शन बढ़ गई वैसे भी आज कल उसको घर पर फोन करने से पहले 10 बार सोचना पड़ता है। फिर मैंने हिम्मत करके उसे फोन किया। दो बार बैल बजी पर किसी ने नहीं उठाया फिर मैंने तीसरी बार फोन किया तो उसने फोन उठाया अब मुझे गुस्सा भी बहुत आ रहा था। मैंने उससे पूछा कि कहां हो घर पहुंच गई क्या। उसने धीमी आवाज में कहा हां मैं घर पर हूं। इतना सुनते ही मैंने उससे कहा कि क्या एक मैसेज करके मुझे बता नहीं सकती थी। मैं कितना परेशान हो रहा था। और मैंने इतना कहकर फोन काट दिया।

बाद में उसका मैसेज आया कि जान मैं तुमको मैसेज करने ही वाली थी सिर्फ मौका ढूंढ रही थी। जब से घर आई हूं सबसे पहले मम्मी की डांट खाई घड़ी खाने के कारण और खाना भी अभी खाया है। Sorry मुझे माफ कर दो मैसेज टाईम पे नहीं कर पाई। पर मैंने उसे कोई रिप्लाई नहीं दिया। फिर दो मैसेज और आए Sorry बोलने के लिए। मैंने उनका भी कोई रिप्लाई नहीं दिया। फिर रात को 3 बजे भी उसका मैसेज आया। मैं तब भी जाग रहा था। पर मैंने तब भी उसको कोई रिप्लाई नहीं दिया। फिर सुबह 7.30 बजे भी उसका मैसेज आया। पर मैंने उसका भी कोई रिप्लाई नहीं दिया।

फिर 10.30 बजे मैंने उसे फोन किया। तब तक वो अपनी क्लास में पहुंच गई थी। और बाहर आकर उसने मुझसे बात की और कहा कि I am Sorry मैं तुमको टाईम से मैसेज नहीं कर पाई पर तुम मुझ पर इतना गुस्सा क्यों करते हो। मैंने उसे कहा कि मैंने सिर्फ ये कहने के लिए तुमको फोन किया था कि आगे से मुझे कोई मैसेज करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि तुमको तो कोई फर्क नहीं पड़ता किसी के परेशान होने या न होने से तो ठीक है अब आगे से दुबारा कोई मैसेज करने की भी कोई जरूरत नहीं है। अगर तुमको ये सब टेन्शन लगने लगा है तो आगे से कोई जरूरत नहीं है मुझे कोई मैसेज करने की।

उसने कहा कि मुझे फर्क पड़ता है। तभी तुमको कॉल और मैसेज करती हूं पर कल घर आने के बाद सबसे पहले मुझे बहुत डांट पड़ी मम्मी ने बहुत डांटा क्योंकि वो घड़ी उनको पापा ने शादी की Anniversary पर दी थी। उन्होंने कहा कि तुझे किसी की भी चीजों और फिलिंग्स की कोई परवाह नहीं। किसी की चीज की कोई व्ल्यू नहीं है। उसने रोते हुए कहा कि सब मुझे डांटते हैं एक तुम ही थे जिसको मैं समझती थी कि कोई मुझे समझे या ना समझे तुम तो जरूर समझते हो मेरी परेशानी को। मेरे घर में कितनी प्राब्लम्स हैं। सब CID की तरह मुझ पर नजर रखते हैं। और तुम हो की तुम भी मुझ पर हमेशा गुस्सा होते रहते हो। पहले खुद ही बोलते हो कि अगर तुमको कोई प्रोब्लम है तो मुझे बता दिया करो जब बता देती हूं तो भी गुस्सा करते हो। और ये सब कह कर उसने फिर से रोना शुरू कर दिया। अब मैंने उसे प्यार से कहा I am Sorry जान पर मैं क्या करूं मैं आजकल तुम्हारे लिए बहुत Tense रहता हूं। जब कल शाम तक भी तुम्हारा कोई मैसेज नहीं आया तो मैं परेशान हो गया। तुमको भी तो कम से कम एक मैसेज कर देना चाहिए था। उसने कहा हां मुझे पता है पर मैं क्या करूं सब CID की तरह मेरे आसपास घूमते रहते हैं। इसलिए मौका नहीं मिल पाया। और तुम भी मुझ पर गुस्सा करने लगते हो। मैंने कहा जान मुझे कभी-कभी ऐसा लगता है कि तुम मुझसे पीछा छुडाना चाहती हौ और इसलिए मुझे इग्नोर मार रही हो। उसने कहा मुझे तो लगता है कि तुम ही मुझसे पीछा छुडाना चाहते हो। मैंने कहा ऐसा नहीं है। बस इतनी ही बात हुई थी कि इतने में उसकी कर्जन भी आ गई और उसने कहा आईलवयू अब मेरी कर्जन आ गई है बाद में बात करते हैं। और मैंने फोन काट दिया।

हर खामोशी में एक बात होती है,
हर दिल में एक याद होती है,
आपको पता हो या न हो,
आपकी खुशी के लिए रोज फरियाद होती है।

Wednesday, January 14, 2009

"पागल सी एक लड़की है"


पागल सी एक लड़की है
हर पल वो मुझको तकती है
आंख में उसकी मस्ती है
वो बात-बात पर हंसती है
हर रोज वो रूप बदलती है
हर रूप में अच्छी लगती है
इस दिल में आग भड़काती है
जब मेरी तरफ वो बढ़ती है
दीदार को आंख तरस्ती है
फुर्सत में आंख बरसती है
वो जब भी मुझसे मिलती है
ये जालिम दुनिया जलती है
प्यार वो मुझसे करती है
इजहार से लेकिन डरती है
पागल सी एक लड़की है...

Tuesday, January 13, 2009

"जान हैप्पी लोहड़ी"

'जान हैप्पी लोहड़ी यू टू' जान आज सुबह तुम्हारा मैसेज आया मुझे अच्छा लगा। पता है पहले तुम्हारे फोन का इंतजार करता था। पर अब तो तुम्हारे मैसेज का भी वेट करने लगा हूं। मुझे याद है पहले हम एक दूसरे को इतने मैसेज दिया करते थे कि लगता था कि पूरे दिन एक-दूसरे के साथ हैं। पर आजकल तो ये सब भी कम हो गया है। मुझे पता है कि मैं तुमको अब मैसेज नहीं दे पाता हूं। पर जान इसका मतलब ये मत समझना की मेरा प्यार कम हो गया है। बस मुझे डर लगा रहता है कि कहीं तुम्हारे घर में फिर से किसी को पता न चल जाए। अब मैं तुमको दुबारा से खोना नहीं चाहता। पता है मुझे फिर से वही खुशी महसूस होने लगी है जैसी पहले तुम्हारा फोन या मैसेज आने पर हुआ करती थी। अब भी मैं उतनी ही बेचैनी से तुम्हारे मैसेज का वेट करता हूं। मुझे याद है तुम पहले Good Morning मैसेज किया करती थी। पर तब तक तो मैं नहा-धोकर पुजा कर रहा होता था। और पुजा पूरी करने के बाद तुम्हारा मैसेज पढ़ता था। पता है आज भी 8 बजे तक तुम्हारा मैसेज नहीं आया तो दिल में फिर से घबराहट होने लगी। और जब मैं नहा कर बाहर आया तो तब भी तुम्हारा मैसेज नहीं आया था। जान पता है इस बीच मेरा पूरा ध्यान बार-बार मेरे मोबाइल पर ही जा रहा था। बार-बार जाकर देखता था कि कहीं अब तो तुम्हारा मैसेज नहीं आ गया। और इस बीच जब तक मैंने कपड़े पहने तब तक तुम्हारा मैसेज भी आ गया। मुझे पता नहीं चला क्योंकि आजकल मोबाइल को बिल्कुल साइलंट मोड पर ही रखता हूं। और मैंने मैसेज पड़ते ही तुमको मिस काल दी। मैसेज में लिखा था:-
''हाय जानू Good Morning हैप्पी लोहड़ी, बैलेंस अभी एड हुआ है, रिचार्ज कराके मिस कॉल दूंगी। रात को जब तुम्हारी पहली मिस कॉल आयी मैं जागी हुई थी पर कॉल करने का बैलेंस नहीं था। रात को बता ही दिया था। ब्रेकफास्ट करके जाना 'आई लव यू''

जान तुम्हारा मैसेज आने से मेरी बेचैनी शांत हो जाती है। और तुम वहां ठीक हो इस बात को सोचकर मुझे सुकून मिलता है। मुझे पता है कि कल मैंने गुस्से में तुमसे कुछ कड़वी बातें कह दी थी जो कि मुझे नहीं कहनी चाहिए थी उसके लिए मैं तुमसे Sorry बोलना चाहता हूं। जैसा की तुमने आज सुबह फोन पर मुझसे कहा कि तुम अपने को टाईम पास मत कहा करो। मुझे अच्छा नहीं लगता। तो ठीक है जान आज के बाद मैं तुमसे कभी ऐसी बात नहीं कहुंगा पर जैसा कि मैंने भी तुमसे कहा वो मैंने जानकर तुमसे नहीं कहा था। गुस्से में मुंह से निकल गया था। जान एक बात और कहना चाहता था कि सुबह-सुबह तुम्हारी आवाज सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगता है। जान मैं तुमको बहुत मिस करता हूं।

तुम्हें दिल में बसाए रखता हूं
और दुनिया को भूलाए रखताहूं
तुम्हे मेरी नजर न लग जाए
इसलिए नजरें झुकाए रखता हूं

Monday, January 12, 2009

"'जान' प्यार में विश्वास जरूरी"

कुछ बातों को लेकर कई दिनों से मेरी उससे फिर से नोकझोक हो गई। तीन दिन पहले उसका मोबाईल उसे मिल गया। मैं बहुत खुश था। वीरवार को उसने मुझे ये बात बताई पर उस दिन उसका मोबाइल एक्टिव नहीं हुआ था। हम दोनों काफी एक्साईटिड थे। मैंने उससे बोला कि जान क्या तुम कल भी (शुक्रवार) को भी फोन करोगी। उसने कहा हां जान मैं एसटीडी से तुमको कॉल करूंगी। मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हारा वेट करूंगा। पर वीरवार की शाम को चैट पर उसने मुझे बताया कि जान मैं कल तुमको फोन नहीं कर पाउंगी क्योंकि मेरी क्लास की छुट्टी है। इंस्ट्टीयूट का कोई प्रोग्राम है। ये सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा। पर उस समय मुझे एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वो मुझसे झुठ बोल रही है। मैंने उससे सिर्फ इतना कहा कि जान तुमसे बात करने का बहुत मन कर रहा था। उसने भी कहा हां मेरा भी मन था पर क्या करूं।

अगले दिन भी मैं सिर्फ यही सोच रहा था कि काश! आज वो फोन करती कितना अच्छा लगता। खैर लगभग 1 बजे के करीब मुझे एक मिस कॉल आई मुझे पता था कि ये उसी का नया नम्बर है। मैंने फौरन उसे कॉल बैक किया और उसे कांग्रेच्युलेट किया। उसने भी हंसते हुए मुझसे कहा ओ..... थैंक्यू... जान नम्बर चालू हो गया है। मैं बहुत खुश था। मैंने उसे कहा हां फाईनली एक्टिव हो ही गया। वो भी काफी एक्साईटीड थी। मैंने ऐसे ही उससे पूछ लिया कि जान कब एक्टिव हुआ ये? उसे भी एक्साईटमेंट में याद नहीं रहा और उसके मुंह से सच निकल गया उसने कहा कि जान अभी बस क्लास में बैठी थी तभी मैंने चैक किया तो Conformation मैसेज आया हुआ था।

मैंने उससे पूछा कि एक मिनट तुमने क्या बोला क्लास में, पर आज तो तुम्हारी छुट्टी थी। वो एक मिनट के लिए चौक गई और बात को टालने के लिए बोलने लगी कि जान हां मैं क्लास में नहीं घर पर हूं। मैं नीचे बच्चों को पढ़ा रही थी और तभी मैंने मोबाइल चैक किया। और फिर मम्मी ने मुझे छत पर से कपड़े उतारने के लिए भेजा इसलिए मैं छत पर हूं। पर मैं समझ गया कि वो घर पर नहीं बाहर है। क्योंकि उसके आसपास से ट्रेफिक की आवाजें आ रही थी। मैंने उससे कहा कि तुम झुठ बोल रही हो तुम बाहर हो मुझे ट्रैफिक की आवाजें आ रही हैं उसने फिर झुठ बोला कि हां मैं छत पर हूं ना इसलिए आसपास के ट्रैफिक की आवाजें आ रहीं हैं। पर मैं समझ गया था कि वो मुझसे झुठ बोल रही हैं। उस वक्त मुझे बहुत बुरा लगा कि ये तीन दिन भी अपना विश्वास मुझ पर नहीं रख पाई। पर वो थी कि इतना सब होने पर भी अपनी गलती मान नहीं रही थी। अब मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उससे कहा की तुम सच बोल रही हो ना। उसने कहा हां। मैंने कहा ठीक है तो क्या मैं अभी तुम्हारे इंस्ट्टीयूट में फोन करके पता करूं की आज वहां छुट्टी है कि नहीं। अब वो फंस गई। उसने कहा कि जान Sorry मुझसे गलती हो गई। मैंने पूछा यार क्या है ये सब तुमने मुझसे फिर से झुठ बोला। और पकड़ी गई तो भी मुझे एक्सक्यूज दे रही हो। तुमने मुझसे झुठ क्यों बोला। उसने कहा जान Actually में मेरे पास पैसे खत्म हो गए थे। एसटीडी से फोन करने के लिए इसलिए मैंने तुमसे झुठ बोला सिर्फ मजाक में कि आज क्लास की छुट्टी है। पर जैसे ही नम्बर एक्टिव हुआ मुझसे नहीं रहा गया। तुमसे बात करने का मन हुआ। और मैं पकड़ी गई। मैंने उससे कहा कि जान ये सब करने की तुमको जरूरत ही क्या थी। अगर तुम्हारे पास पैसे नहीं थे तो तुम मुझे सच बता देती। मैं क्या तुम्हारी प्रोब्लम को नहीं समझता? तुमने तो इसका मतलब मुझे गैर समझ लिया। यानी की मैं तुम्हारी नजरों में कोई अजनबी हूं जिस पर तुमको बिल्कुल भी ट्रस्ट नहीं है। उसने कहा Sorry जान माफ कर दो क्या ये बताते हुए अच्छा लगता कि मेरे पास पैसे नहीं है इसलिए मैं कॉल नहीं कर पाई। मैंने कहा कि इसका क्या मतलब है यार मैं क्या तुम्हारे लिए अजनबी हूं। या हमारे बीच ऐसी कोई छुपी हुई बात है। जान हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं। एक-दूसरे से शादी करने के सपने देख रहे हैं जब हम एक दूसरे पर इतना भी विश्वास नहीं दिखाएंगे तो फिर हमारे प्यार करने का क्या मतलब। इसका मतलब ये सब दिखावा है। मन बहलाने का साधन है। कोई बच्चों का खेल है जब तक मन किया एक-दूसरे से खेलते रहे और जब मन भर गया तो जिन्दगी से निकाल कर बाहर फैंक दिया। उसने कहा नहीं ये कोई खेल नहीं है मैं तुमसे सच्ची में प्यार करती हूं। पर सच में मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो।

इसलिए पिछले तीन दिन से मैं उससे ठीक से बात नहीं कर रहा हूं। पर वो बार-बार मुझे कॉल कर रही है और मैसेज कर रही है और माफी भी मांग रही है। पर पता नहीं क्यों अब उस पर विश्वास करने का मन नहीं करता। ऐसा लगता है कि जब ये अभी से मुझसे झुठ बोल रही है तो फिर ये कैसे आखिर तक मेरा साथ निभाएंगी। आज भी उसका फोन आया। उसने मुझे फिर convince करने की कोशिश की कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। मुझसे गलती हो गई कि मैंने तुमसे झुठ बोला। मैं बार-बार उसको यही समझा रहा था कि देखो जान अगर तुमको आखिर में जा के मुझे धोखा देना है तो इस सब रिलेशनशिप की कोई जरूरत नहीं है। मैंने उससे पूछा कि जान तुम आखिर मुझसे चाहती क्या हो। हमारे इस रिलेशनशिप का आखिर क्या मतलब है। तुम मुझसे क्या रिलेशनशिप चाहती हो। क्या सिर्फ फ्रेंडशिप रखना चाहती हो। सिर्फ अगर दोस्ती तक ही रखना चाहती हो तो भी मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है। अब आगे से मैं सिर्फ तुमसे एक फ्रैंड की तरह ही बात करूंगा। पर उसने रोते हुए कहा कि I am sorry जान मुझसे गलती हो गई। मैं फ्रैंडशिप से ज्यादा का रिलेशनशिप रखना चाहती हूं। मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं। और मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी। प्लीज इस बार मुझे माफ कर दो। मैं आगे से तुमको कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी।

मैंने उससे सिर्फ इतना ही बोला की जान हम जिस रिलेशनशिप की बात कर रहे हैं उसमें हम दोनों को एक दूसरे पर विश्वास होना बहुत जरूरी है। बिना विश्वास के ये रिलेशनशिप आगे नहीं बढ़ सकता।


इंतजार उस दिन का करूंगा,
जिस दिन यकीन आपको मेरी चाहत पर होगा,
दिल में हम आपके होंगे,
और लबो पे नाम हमारा होगा।

Sunday, January 11, 2009

"जो सुकून मिला था, हमें एक दूसरे की बांहों में"


जो सुकून मिला था हमें एक दूसरे की बांहों में,
वो शायद न मिल सके खुदा की भी पनाहों में,
नजरें चुरा के दुनिया से चार दिन यूं जी लिए हम,
जिया न होगा कोई उम्रभर की मरहलाओं में
ये अलग बात है कि उस मोड़ पर पहुंच गए हैं अब
हर राह जुदा सी है उन सुनहरे खुशगवार लम्हों से

वक्त बदला और हालात भी बदल चुके हैं अब
तड़प खालिश और चुभन रह गई है दिल में
सितम किया वक्त ने और खुद को गुनहगार समझ बैठे,
परेशानी और शर्मिंदगी के बोझ तले दब जाते हो तुम

मुझसे तो गैर ही बेहतर जिनसे बेबाक पेश आते हो तुम
बिना अपने हाकिम से डरे और बिना दुनिया की परवाहों के
अब यही बेहतर है कि मुझे भी गैरों में शामिल करो
फिर शायद मुझसे बातें करने में शर्मिंदगी न हो
और मै भी तुमको जब चाहे पुकार सकूं औरों की तरह,
शायद फिर जी सकें हम दोनों बिना दर्द भरी आहों के

Saturday, January 10, 2009

"'प्यार', 'ईश्क', 'मोहब्बत'"

'प्यार', 'ईश्क', 'मोहब्बत' ये ढाई अक्षर का शब्द जिसको माने तो सब कुछ है और न माने तो कुछ भी नहीं। कहने वालो ने कहा है कि प्रेम एक रोग है एक बार जिसे लग जाए तो उसे अपनी सुध-बुध नहीं रहती। फिर उसके लिए दुनिया में इससे कीमती और मूल्यवान कोई वस्तु नहीं। उसके लिए सोना-चांदी, हीरे-मोती, लाख-करोड़ का कोई मूल्य नहीं ये सब उसके लिए मिट्टी के समान है। प्रेम एक ऐसी अवस्था है जिसमें पहुंच कर व्यक्ति को सिवाए अपने प्रेमी के और कुछ ध्यान नहीं रहता। हर वक्त बस उसी का चिंतन रहता है जिससे व्यक्ति प्यार करता है। उस समय व्यक्ति का केवल एक ही उद्देश्य रहता है कि किसी तरह भी अपने साथी को ये विश्वास दिलाए कि वो उससे कितना प्यार और विश्वास करता है। हर पल बस उसी के ध्यान में खोया रहता है और उसको अपने ध्यान में रखकर नई नई कल्पनाएं करता है, उसके साथ अपना पूरा जीवन बिताना चाहता है। उसके सुख-दुख का हिस्सेदार बनना चाहता है। उसके गमों को बांटना चाहता है। और यहां तक कि अपनी सारी खुशियां उस पर न्यौछावर करके उसे खुशी देना चाहता है। बदले में अपने साथी से वो केवल यही चाहता है कि वो भी उस पर उतना ही विश्वास करे जितना की वो उस पर करता है। परन्तु जब उसे इस बात का अहसास होता है कि जिस व्यक्ति को वो इतना प्यार और विश्वास करता है वो ही उससे झुठ बोलने लगे तो उस व्यक्ति के दिल पर क्या बितती है उसका सारा विश्वास कुछ ही पलों में कांच के टूकड़ों की तरह टूट कर बिखर जाता है। उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है। आंखों के आगे अंधकार छा जाता है। सपनों का वो महल जो उसने एक-एक ईंट जोड़कर इतने वर्षों में बनाया था अचानक उसे एक खण्डहर दिखने लगता है। उसे समझ नहीं आता कि अचानक उसके साथ ये क्या हो गया। कुछ ही समय पहले ये सब जो उसे खुशियां दिख रही थी वो दर्द कैसे बन गया। उसका मन विचलित हो जाता है बार-बार मन में प्रश्नों के ज्वार खडे होते हैं वो यही सोचता है कि ऐसा उसी के साथ क्यों हुआ जबकि उसके मन में कोई कपट नहीं था। वो तो उससे सच्चा प्यार करता था। क्या उसको मेरे प्यार पर विश्वास नहीं था? क्या उसको मुझ पर विश्वास नहीं था? क्या कहीं उसी के प्यार में तो कोई कमी नहीं रह गई? क्या शायद मैं ही उसके लायक नहीं था? हां शायद यही की मैं ही उसके लायक नहीं था। शायद उसकी मंजिल कोई और है। अंत में अगर वो व्यक्ति सच्चा है उसका प्यार सच्चा है तो वो अपने को यही सांत्वना देता है कि हां शायद मैं ही उसके लायक नहीं था। परन्तु उस प्यार का क्या जो दोनो ने मिलकर किया था। बस यही प्रश्न उसकी जिन्दगी का यक्ष प्रश्न बनकर रह जाता है........


काश ये जिंदगी हंसीन होती,
खुद के चाहने से हर दुआ कुबूल होती है,
कहने को तो सब अपने हैं पर,
काश कोई ऐसा होता जिसे मेरे दर्द से तकलीफ होती।

Friday, January 9, 2009

"सिर्फ तुमसे प्यार है"

जान कल ही तुमसे बात की है पर ऐसा क्यों लग रहा है कि पता नहीं कितना टाईम हो गया तुमसे बात किए। जान इन कानों को तुम्हारी आवाज सुनने की आदत सी हो गई है। एक दिन भी अगर ये तुम्हारी आवाज न सुने तो पूरा दिन सूना-सूना सा जाता है। मुझे पता है कि आज तुम्हारा फोन नहीं आएगा जैसा की तुमने कल मुझे शाम को चैट से बताया था। क्योंकि आज तुम्हारी छुट्टी है। और हां जान कल जब तुम दुबारा चैट पर आई तो मैं उस वक्त अपनी सीट पर नहीं था। किसी काम से दूसरे रूम में था। I am sorry जान तुमसे दुबारा चैट नहीं कर पाया। जब आया तो देखा कि तुम तब तक जा चुकी थी। सिर्फ तुम्हारे मैसेज मिले। जान पता नहीं क्यों ये दिल मानने को तैयार नहीं है कि आज तुम नहीं आओगी। आज तुम फोन नहीं करोगी और आज मैं तुम्हारी आवाज और हंसी नहीं सुन पाउंगा। मैं तो रोज की तरह अपने उसी शेडयूल से सुबह उठा, नहा-धोकर पुजा की और नाश्ता करके घर से ऑफिस के लिए निकल गया। और रोज की तरह तुम्हारे फोन का वेट कर रहा हूं। पता है आज तुम नहीं आओगी पर फिर भी कर रहा हूं। पता नहीं दिल कहता है कि तुम अभी फोन करोगी और हंसते हुए कहोगी 'हाय' जान लो मैं आज फिर आ गई। तुम कैसे हो? और क्या कर रहे हो। मेरा भी मन नहीं लग रहा था। तुमसे बात करने का मन कर रहा था। मैं भी तुमसे एक दिन भी बात न करू तो मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता।

काश! ऐसा हो जाता मैं आज भी तुमसे बात कर पाता। खैर क्या करूं तुम्हारे प्यार की ही खुमारी है कि मुझे हर जगह हर पल सिर्फ तुम ही तुम दिखती हो। जान क्या ये सिर्फ मेरे ही साथ हो रहा है, क्या तुमको भी ऐसा ही अहसास होता है जैसा कि मुझे हो रहा है। हर पल तुमसे मिलने की बेकरारी, तुमसे एक बार बात करने की तड़प, तुमको कहीं खो ना दूं हर पल इसी बात का डर लगा रहता है। जान क्या तुम भी ऐसा ही महसूस करती हो। जान मैं तुमको दुबारा खोना नहीं चाहता हूं। बस तुम हमेशा मेरा साथ देना। मुझसे कभी भी अलग मत होना। जान मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। 'आई लव यू' जान 'आई लव यू'


सूख जाते हैं लब, लफ्ज, मिलते नहीं
होता नहीं हमसे इश्क बयां
उन्हें कैसे बताऊं दिल की लगी
कैसे सिखाऊं आंखों की जुबां !

Thursday, January 8, 2009

"हम हैं राही प्यार के, फिर मिलेंगे, चलते-चलते"

आज मैं बहुत खुश हूं। पर इस खुशी में एक डर भी छुपा है कि कहीं इन खुशियों को फिर से किसी की नजर न लग जाए। आज कल तो खुशियों से भी डर लगने लगा है। ऐसा लगता है जैसे खुशियां मेरे साथ आंख-मिचौली का खेल, खेल रहीं हैं। एक पल के लिए मेरा दामन खुशियां से भर देती हैं और दूसरे ही पल मुझसे सब कुछ छीन लेती हैं। कल जब उसका फोन आया तो उसने मुझे एक 'गुड न्यूज' दी की जान मेरा मोबाईल मिल गया है पर नम्बर अभी नहीं मिला है। मुझे भी सुनकर बहुत खुशी हुई पर मैंने उस खुशी को अपने दिल में दबा लिया उसके ऊपर जाहीर नहीं होने दिया। क्योंकि मैंने महसूस किया है कि जब-जब मैं इस खुशी को जाहीर करता हूं तब-तब खुशियां मुझसे रूठ जाती हैं।

आज सुबह 10.17 मिनट पर फिर उसका फोन आया। हमेशा की तरह उसने अपने उसी अंदाज में हंसते हुए मुझसे हाय कहा। पर आज उसकी उस हंसी में मुझे कुछ और खुशी छुपी हुई दिखाई दे रही थी। आज फिर उसने मुझे हंसते हुए कहा जान एक और 'गुड न्यूज' मैंने पूछा वो क्या उसने कहा की मुझे नया नम्बर भी मिल गया है। पर अभी वो एक्टिवेट नहीं हुआ है। मैंने उसको कांग्रच्यूलेट किया। फिर उससे पूछा कि कब लिया नम्बर उसने कहा कल ही लिया है। पर अभी एक्टीवेट नहीं हुआ है। फिर मैंने उसे कहा कि जान अब तुम जरा ध्यान से रखना। उसने कहा हां मुझे पता है। फिर उसने पूछा कि इतनी देर से बात कर रहे हो और अभी तक नम्बर भी नहीं पूछा। मैंने कहा हां मैं बस अब तुमसे वही पूछने वाला था। फिर उसने मुझे नम्बर बताया। मैंने उसे कहा कि जान ऐसा लग रहा है कि तुमसे कितने साल बाद नम्बर ले रहा हूं। उसने कहा हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है कि पता नहीं कितने साल बाद मुझे मोबाइल मिला है। और ये बात सच भी है मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उससे आज पहली बार उसका फोन नम्बर मांग रहा हूं। मुझे वो पूराने दिन याद आ गए जब मैंने उससे पहली बार उसका फोन नम्बर मांगा था।

उसके बाद उसने मुझसे कहा जान आज एसटीडी से मेरा ये तुमको लास्ट कॉल है। मैंने कहा कि एसटीडी से ही है ना कहीं मुझको भी तो लास्ट कॉल नहीं है। उसने फिर गुस्से से कहा कि मेरी तरफ से तो कभी तुमको लास्ट कॉल नहीं होगा। तुम ही अगर बात करना बंद ना कर दो तो। मैंने कहा ऐसा कभी नहीं होगा। मैं कभी तुमसे बात करना बंद नहीं करूंगा। फिर उसने कहा कि तुम हमेशा उल्टी बातें मत किया करो। क्योंकि जब भी तुम कोई उल्टी बात करते हो तो वो सच हो जाती है। तुम ही ने एक बार मुझसे कभी बात न करने की बात कही थी तो देख लो आज कितने महीने हो गए हैं हमें बात किए हुए। फिर मैंने उसे कहा I am sorry जान पर मैं ये सब कोई दिल से नहीं कहता जब तक की तुम मुझे गुस्सा न दिलाओं। फिर उसने कहा चलो अब ये सब पुरानी बातें रहने दो अब तो तुम खुश हो ना। मैंने कहा हां मैं आज बहुत खुश हूं।

फिर मैंने उससे कहा जान मैं तुमको बहुत प्यार करता हूं। आई लव यू। उसने कहा जान मैं भी तुमको बहुत प्यार करती हूं। मैंने कहा जान मैं तुमको बता नहीं सकता कि ये तीन महीने मैंने कैसे निकाले हैं तुम्हारी याद में। अपने को इतना बिजी कर लिया है कि एक पल का भी टाईम नहीं देता अपने को। जैसे ही थोड़ा फ्री होता हूं तुम्हारी याद आने लगती है। उसने कहा क्या पहले मैं तुमको काम करने में डिस्ट्रब करती थी। मैंने कहा नहीं जान पहले तो मैं बहुत खुश रहता था। पर जबसे तुमसे दूर हुआ हूं। तुम्हारी बहुत याद आती है। उसने कहा जान मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आती है।
आज उसने बताया कि उसने कल 'रब ने बना दी जोड़ी' फिल्म देखी। मैंने उससे पूछा कि कैसी लगी उसने कहा की जान अच्छी थी। और एक डायलोग भी सुनाया। शाहरूख खान का- ''हम हैं राही प्यार के, फिर मिलेंगे, चलते-चलते'' बस हम भी ये ही डायलोग लॉस्ट तक बालते रहे और हंसते रहे। फिर उसने कहा की जान शायद शाम तक नम्बर एक्टिव हो जाएगा। मैंने उससे पूछा कि जान कल बात करोगी उसने कहा हां ठीक है एसटीडी से करूंगी। मैंने कहा ठीक है। फिर उसने कहा कि जान तुम अपना ख्याल रखना। मैंने कहा हां ठीक है। तुम भी अपना ख्याल रखना। उसने कहा ठीक है। फिर दोनो ने एक दूसरे को किस किया और आईलवयू बोल कर फोन रख दिया। फोन रखने का मन नहीं कर रहा था। उसने भी कहा कि जान मेरा भी फोन काटने का मन नहीं कर रहा है पर रखना पड़ेगा। चलो अब कल बात करेंगे। मैंने उससे कहा ऐसे नहीं जान ''हम हैं राही प्यार के, फिर मिलेंगे, चलते-चलते''... और दोनो हंसने लगे और आई लव यू बोल कर फोन रख दिया।

Wednesday, January 7, 2009

"उसने दिया मेरे साथ का वादा"

आज दिल को बहुत सुकून मिल रहा है। ऐसे लग रहा है कि जैसे बरसो से किसी के इंतजार में बैठे कसी नाउम्मीद को उम्मीद की एक किरण मिल गई हो। पिछले दो दिन ऐसे गुजरे जैसे किसी ने सजा-ए-कालापानी की सजा दे दी हो। ऐसी अनवरत सजा जिसका की पता नहीं कब खत्म होगी। पर शायद भगवान को मुझ पर जल्दी दया आ गई और उसने इस सजा-ए-कालापानी की सजा से मुक्त करा दिया। उसने दुबारा अपना विश्वास मुझ पर बनाया है। पहले डर लग रहा था कि पता नहीं मैं उस पर विश्वास कर भी पाउंगा या नहीं। पर अब उसकी बातों से और उसकी बेताबी को देखकर ऐसा लगता है कि वो अभी भी मुझे चाहती है और मुझे खो देने के डर से सहम जाती है।

कल से मुझसे बात करने के लिए बेताब है जब भी मौका मिलता मुझसे चैट करने आ जाती। मैं अगर प्रोपर रिपलाई नहीं दे पाता या नेट की प्रोब्लम की वजह से उस तक रिपलाई नहीं जाता तो वो घबरा जाती और बार-बार मुझसे यही पूछती की जान क्या हुआ अभी भी मुझसे गुस्सा हो क्या? या अभी भी मुझ पर ट्रस्ट नहीं है? फिर बात क्यों नहीं कर रहे हो। मैं उसको बार-बार यही कहता कि जान मैं अब तुमसे गुस्सा नहीं हूं। मुझे तुमपर ट्रस्ट है। पर ये सब प्रोब्लम नेट की है। तब उसको यकीन होता कि मैं गुस्सा नहीं हूं। कल मुझसे बात करने की जल्दी में वो नाश्ता भी करके नहीं गई। और शाम को जब मैंने उससे पूछा कि कैसी हो तो उसने बताया कि जान कुछ नहीं सिर्फ पेट में Acidity हो गई है, क्योंकि सुबह तुमसे बात करने की जल्दी में नाश्ता करके नहीं गई। और अब आकर कड़ी-चावल खा लिए इस कारण Acidity हो गई है। पर अब तुमसे बात करने के बाद मुझे अच्छा लग रहा है। बस तुम मुझसे गुस्सा मत होना।

आज सुबह 10.21 मिनट पर भी उसका फोन आया फोन पिक करते ही उसने हंसते हुए 'हाय' कहा मैंने भी हाय कहा। आज उसकी हंसी सुनकर दिल को बहुत सुकून मिला। उसने कहा जान एक 'गुड न्यूज' है। मैंने पूछा वो क्या? उसने कहा जान मुझे मोबाइल मिल गया है। पर नम्बर अभी नहीं मिला है। वो भी जल्दी ही मिल जाएगा। मैंने उसे कांग्रेच्यूलेशन कहा। उसने कहा क्या हुआ तुमको खुशी नहीं हुई। मैंने कहा हां मैं खुश हूं पर नम्बर कब मिलेगा। उसने कहा जान मैं जल्दी ही ले लूंगी तुम चिंता मत करो। मैंने उसको कहा कि जान उस दिन मुझे लगा कि अब सब कुछ खत्म हो गया है। अब शायद दुबारा हम कभी बात नहीं कर पाएंगे। उसने कहा जान तुम ही हर बार मुझे दूर जाने की और बात ना करने की बात करते हो। मैं तो तुमसे दूर नहीं होना चाहती। मैंने उससे पूछा। जान यू ट्रस्ट मी। उसने कहा यस आई ट्रस्ट यू। वरना रोज तुमसे बात करने क्यों आती। मैंने उससे कहा जान मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। उसने कहा जान आई लव यू टू। मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आती है। तुमसे दूर होकर रहना मुझे भी पसंद नहीं है। फिर मैंने उससे पूछा कि फिर कभी मुझसे झुठ बोलोगी। उसने कहा कभी नहीं। झुठ बोलना छोड़ दिया है मैंने।

उसने कहा जान हम जल्दी ही मिलेंगे तुम फिक्र मत करो। मैंने उससे कहा जान तुम बस हमेशा मेरा साथ देना। कभी भी मेरा साथ मत छोड़ना। उसने कहा मैं कभी तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगी। फिर मैंने कहा जान अपना ख्याल रखना और खाना टाईम से खाना और मेडीसन भी टाईम से लेना। उसने कहा जान तुम भी अपना ख्याल रखना। मैंने पूछा अब कब बात करोगी। उसने कहा जान मैं कल भी तुमसे बात करूंगी। तुमसे बात करने का मन कर रहा है। हो सका तो चैट भी करेंगे। जाते-जाते मैंने उसको इतना बोला कि जान 'आई मिस यू'। उसने भी कहा मैं भी तुमको बहुत मिस करती हूं। मैं कल जरूर बात करूंगी। 'आई लव यू'

Tuesday, January 6, 2009

"जान प्लीज लॉस्ट चांस"

कुछ दिनों से मन में कुछ कशमकश सी चल रही थी। उसने फिर से कुछ बातें छुपाने की कोशिश की और मुझसे झुठ बोला। पर कहते हैं ना की झुठ की उम्र बहुत लम्बी नहीं होती। ठीक वैसे ही उसका झुठ भी एक दिन में ही खुल गया। लेकिन उसके उस झुठ ने मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसका दी। ऐसा लगा कि किसी ने बिजली का झटका दे दिया हो। मुझे खाई के पास ले जाकर पीछे से उसमें धक्का दे दिया हो। ऐसा अहसास हुआ कि किसी ने जीवन भर का साथ निभाने का वादा देकर बीच रास्ते में ही साथ छुडा लिया हो।

कल उसका फोन आया। मैंने उसे कुछ नहीं कहा सिर्फ उसकी बातों को ध्यान से सुनता रहा। उस वक्त उसकी हंसी मेरे दिल पर छुर्री की तरह चल रही थी। मैंने उसको धीरे से वो बात बताई। वो पहले तो थोड़ी देर के लिए चौक गई फिर बात को टालने की कोशिश करने लगी। पर मैंने उसे कहा कि तुमने मुझसे झुठ क्यों बोला तो वो बात को घुमाने की कोशिश करने लगी पर फिर बाद में जब उसको अहसास हो गया कि मुझे सब कुछ पता है तो वो मुझसे माफी मांगने लगी। पर उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि अब किसी पर भरोसा करना ही अपने भरोसे का खून करने के बराबर है। जिस लड़की पर मैंने अपने से भी ज्यादा विश्वास किया। उसी ने मेरे साथ धोखा किया। मुझसे झुठ बोला। आखिर क्या वजह थी कि उसे मुझसे झुठ बोलने पर विवश होना पड़ा। जबकि मैंने आज तक उस पर कभी कोई दबाव नहीं डाला। हां सिर्फ अपने से भी ज्यादा प्यार किया है।

बस कल से वो मुझसे Sorry बोल रही है। पर क्या अब मैं उस पर वो पहले जैसा भरोसा कर पाउंगा। पहले जैसा ट्रस्ट रहेगा उस पर। आखिर जान तुमने मुझसे ये झुठ बोला ही क्यों। इसकी क्या जरूरत थी। मैं बार-बार उससे यही सवाल कर रहा था। पर वो बार-बार यही कह रही थी कि Sorry जान मुझसे गलती हो गई है मुझे माफ कर दो। एक बार लॉस्ट चांस दे दो मैं दुबारा कभी तुमसे झुठ नहीं बोलूंगी। पर अब पता नहीं उसकी किसी बात पर भी यकीन नहीं होता। मैंने उससे बार-बार यही कहा कि किसी सम्बंध का आधार विश्वास होता है और ये विश्वास कोई एक दिन में नहीं बनता और हमारे रिलेशनशिप में भी ये विश्वास कई सालों में बना था। जिसको कि तुमने एक ही झटके में तोड़ दिया। अब मैं तुम पर कैसे विश्वास कर सकता हूं। इस सबसे अच्छा तो यही है कि अब हम दोनों को ये रिलेशनशिप यहीं पर खत्म कर देना चाहिए।

कल पूरे दिन वो मुझसे यही कहती रही कि प्लीज मुझे एक और chance दे दो मैं तुमसे दुबारा कभी झुठ नहीं बोलूंगी। दो मैसेज भी किए-
''जान प्लीज लॉस्ट चांस फिर ऐसा नहीं होगा I am very sorry प्लीज माफ कर दो।......आई लव यू तुम्हारे बिना नहीं रह सकती Sorry प्लीज एक चांस दो दुबारा ऐसा नहीं होगा God Promise आई लव यू, प्लीज ट्रस्ट मी''।

दूसरा-
''प्लीज जान इस बार माफ कर दो I am Sorry आगे से ऐसा नहीं होगा। तुम्हें कभी Hurt नहीं करूंगी अपनी कसम प्लीज believe me last chance ILU"

और आज सुबह दुबारा फोन किया और बोला कि मुझे माफ कर दो। मुझसे गलती हो गई। पर अब उस पर विश्वास करना बहुत मुश्किल हो रहा है। मैं बार-बार उसको यही बोल रहा थी कि तुमने ऐसा क्यों किया इसकी जरूरत ही क्या थी। मैंने उसे कहा कि अगर तुम यही चाहती हो कि ये रिलेशनशिप खत्म हो जाए तो ठीक है सब कुछ खत्म हो गया। पर एक बात हमेशा याद रखना कि मैंने तुमसे हमेशा सच्चा प्यार किया है। लेकिन तुम उसे कभी समझ नहीं पाई। उसने कहा प्लीज मुझे माफ कर दो मैं तुमको खोना नहीं चाहती। मैंने कहा जान तुमने मुझे खो दिया है। आज फोन पर ज्यादा टाईम वो सिर्फ रोती रही। और यही कहती रही कि मुझे एक लास्ट चांस दे दो। अगर उसके बाद तुमको कभी लगे कि मैंने तुमसे झुठ बोला है तो तुम जो करना चाहते हो कर लेना। मैंने उससे कहा कि आखिर तुमने ये झुठ बोला ही क्यों। आखिर क्या मजबूरी थी तुम्हारी तब उसने कहा कि तुम मुझे डांटते इस कारण मेरे मुंह से झुठ निकल गया। लेकिन मैंने वो जानबूझकर नहीं कहा वो बस हो गया।

मैंने उससे कहा कि क्या तुम मेरी थोड़ी सी डांट भी नहीं खा सकती। सिर्फ मेरी डांट ना खाने के लिए तुमने मुझसे इतना बड़ा झुठ बोल दिया। तुमको बिल्कुल भी अहसास नहीं हुआ कि अगर मुझे सच्चाई का पता चल जाएगा तो मेरे दिल पर क्या बीतेगी। उसने कहा हां मैं सोच सकती हूं कि तुम्हारे दिल पर क्या बीती होगी। पर इसके लिए मैं तुमसे माफी मांग रही हूं। प्लीज मुझे माफ कर दो आगे से कभी भी ऐसा नहीं होगा। तुमको हमारे प्यार की कसम। मैंने कहा प्यार तो पता नहीं अब बचा भी या नहीं। उसने कहा नहीं बचा है मैं तुमसे अभी भी बहुत प्यार करती हूं। और तुमसे वादा करती हूं कि हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी। उसके इतना निवेदन करने और रोने के बाद मुझे लगा कि शायद इसको एक मौका और देना चाहिए।

मैंने उससे कहा कि जान ठीक है मैं तुमको एक चांस और दूंगा लेकिन मैं तुमको ये बात भी बताना चाहता हूं कि अगर अगली बार मुझे और कुछ पता चला कि तुमने मुझसे झुठ बोला है तो फिर मैं बता नहीं सकता कि क्या करूंगा। इसलिए तुम्हारे पास सिर्फ आज-आज का समय है अगर और भी कोई झुठ तुमने मुझसे बोला है तो बता दो मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूंगा। लेकिन अगर मुझे बाद में कुछ पता चला तो....। उसने कहा जान तुम मुझ पर विश्वास करो मैं आगे से तुमसे कभी कोई झुठ नहीं बोलूंगी। और मुझे और कुछ याद नहीं कि मैंने तुमसे कोई और झुठ बोला हो। मैं तुम्हारे विश्वास को कभी नहीं टूटने दूंगी। 'आई लव यू' जान।

Monday, January 5, 2009

"तनहा अब जीते हैं"


वक्त बगावत करने लगे,
दोस्त आज दुश्मन बनने लगे।
जिसे हम अपना समझते थे,
वो भी दूर मुझसे रहने लगे।
दुश्मन भी अब हंसने लगे,
दोस्त भी दूर हटकर रहने लगे।
काश हमारा दिल ही बताए,
कौन मेरा जो दिल लौटाए।
वक्त ने मारा तुम न मारो,
उम्मीदों का मुझसे तुम बौछार करो।
मुझे दर्द मेरा दोस्त खफा,
हम घूंट-घूंट कर जीने लगे।
तनहा अब जीते हैं,
दुनियां के हम गम पीने लगे।
लोग हमसे अब कहने लगे,
दोस्त क्यों खफा तुमसे रहने लगे।
दुनियां वाले मुझपे बरसने लगे,
संकट के बादल अब गरजने लगे।

Sunday, January 4, 2009

"खुद से जुदा हुए अब मुझे हो गया जमाना"



कभी कहीं मैं तुम्हे मिल जांऊ किन्ही राहों में,
तो लौटा देना मुझे महफूज मेरी पन्हाओं में,
खुद से जुदा हुए अब मूझे हो गया जमाना,
अपनी तस्वीर भी नहीं बाकी मेरी निगाहों में,
सुबह चला था कि शाम तक लौट आउंगा,
क्या पता था कि यूं सर-ए-बाजार खो जाउंगा,
सबने लूटा मिलके मुझसे बिछड़े हुए मुझको,
जुम्बिश तक भी ना छोड़ी हाथ-पांव में,
क्या जुर्म था मेरा क्या कभी मैं जान पाउंगा
क्या अपनी दास्तान कभी खुद को सुना पाउंगा
क्या एक अजनबी बन के आगे से गुजर जाउंगा
या फिर से भर लूंगा खुद को अपनी बाहों में
नहीं मालूम मुझे अंजाम मेरे इस फसाने का
जिसके हर पन्ने पर दर्द है खुद से बिछड़ जाने का
स्याही का रंग भी है मेरे खून से मिलता जुलता
और हर अल्फाज है धुंधला गम के सायों में
कभी कहीं मैं तुम्हे मिल जाऊं किन्हीं राहों में,
तो लौट देना मुझे महफूज मेरी पन्हाओं में,
खुद से जुदा हुए अब मुझे हो गया जमाना,
अपनी तस्वीर भी नहीं बाकी मेरी निगाहों में
"जान आई लव यू" तुमको बहुत मिस कर रहा हूँ.

Saturday, January 3, 2009

"जान प्लीज गुस्सा मत हुआ करो"

'हाय जान प्लीज गुस्सा मत हुआ करो 'आई लव यू' कल रात 10.10 मिनट पर उसका ये 1 लाईन का मैसेज आया। आप विश्वास नहीं करेंगे उसके इस एक लाईन के मैसेज को पढ़कर मेरे दिल को कितना सुकून मिला। ऐसा लगा किसी डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो। यानी उसके दिल में अभी भी मेरे लिए प्यार है। मेरे गुस्सा करने से उसको भी कुछ महसूस होता है। यानी उसको भी मेरी परवाह है। बस ऐसा मन कर रहा था कि बार-बार उस मैसेज को पढूं। रात को 2.30 बजे भी मोबाईल उठाकर उस मैसेज को दुबारा पढ़ा और मोबाइल को अपने तकिये के नीचे रखकर लेट गया जैसे पहले किया करता था। ऐसा महसूस हुआ कि शायद वो पुराने दिन वापिस लौट आए हैं।

पर इतने सब अच्छे साईन को देखकर दिल में फिर डर भी लगता है कि कहीं फिर से पहले की तरह मेरे ये हसीन सपने कांच की तरह टूट ना जाएं। दिल कहता है कि उस पर विश्वास करूं पर दिमाग उस पर विश्वास नहीं करने देता। दिल को उसकी सारी बातें सच्ची लगती हैं पर दिमाग उसकी हर बात को संदेह के घेरे में देखता है। दिल कहता है कि वो आज भी तुमसे सच्चा प्यार करती है पर दिमाग कहता है कि वो सिर्फ एक दिखावा कर रही है। अजीब कशमकश में हूं समझ नहीं आता किस की बात पर विश्वास करूं। दिल की या दिमाग की। ये भी सच है कि दिल के हाथों मैं बहुत बेबस हूं।

बहुत लोगों ने कहा ये सब बेकार के चक्कर हैं इनमें मत पड़ों बहुत पछताओंगे। पर ये दिल किसी की भी बात मानने को तैयार नहीं है। ये आज भी उसे दिलों जान से ज्यादा चाहता है। उससे दूर होने के डर से ही जान आधी हो जाती है। आज भी जब पुजा करता हूं तो भगवान से उसी को मांगता हूं। पता नहीं मेरा क्या होगा सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया है अगर वो सच्ची है मेरा प्यार सच्चा है तो हम एक दिन जरूर एक-दूसरे के हो जाएंगे।

मुझे आंसू भरी हयात न दो,
गम के हाथों में मेरा हाथ न दो,
दो-चार कदम चलकर साथ छोड़ दो मेरा,
इससे बेहतर है कि तुम मेरा साथ ही न दो

Friday, January 2, 2009

"प्लीज 'जान' मुझ पर ट्रस्ट करो"

3 दिन का इंतजार आज जाकर टूटा विश्वास आज भी नहीं था कि वो फोन करेगी। पर फिर भी रोज की तरह आदत पड़ गई है उसका वेट करने की इसलिए उसका वेट किया। और घर से जल्दी निकल गया। और जल्दी ही ऑफिस पहुंच गया और फोन का वेट करने लगा इस बार वादे के अनुसार उसने 10.14 मिनट पर फोन किया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आज मैं उसको क्या कहूंगा।

मैंने फोन पिक किया। उसने 'हाय' कहा। मैंने भी जवाब में 'हाय' कहा। उसने हंसते हुए मुझे Happy New Year कहा पर मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया। उसने दुबारा Happy New Year कहा। और पूछा क्या हुआ गुस्सा हो क्या। मैंने कुछ नहीं कहा सिर्फ उसको भी Happy New Year कहा फिर वो कुछ कहना चाहती थी पर मैंने उसे कुछ बोलने से पहले उससे कहा कि मैं तुमको कुछ सुनाना चाहता हूं। उसने कहा क्या? मैंने उसे पिछले तीन दिन के पोस्ट पढ़कर सुनाना शुरू किया। वो बीच-बीच में कुछ बोलना चाहती थी पर मैंने उसे कुछ बोलने नहीं दिया। और सिर्फ बोलता गया। जब मैंने उसको सारी पोस्ट पढ़कर सुना दी तो उसने कहा ये तुमने कहां लिखा है। क्या ब्लॉग पर? मैंने कहा हां। उसने कहा I am Sorry जान। तुमने बहुत अच्छा लिखा है, पर मैं तुमको बताना चाहती हूं कि मैं भी तुमको 31 दिसम्बर और 1 जनवरी को बात करना चाहती थी पर मैं घर पर ही थी इसलिए बात नहीं कर पाई क्योंकि 31 को मैं क्लास के लिए नहीं गई थी। और 1 तारीख का मुझे पता नहीं था कि वहां की छुट्टी है वो भी मुझे मेरी कर्जन ने फोन करके बताया कि आज मत जाना आज की छुट्टी है। और मैं तुमको बताना चाहती हूं कि मैंने भी इन 3 दिनों में तुमको बहुत मिस किया। और सिर्फ तुमको ही याद करती रही।

मुझे भी लग रहा था कि तुमसे बात करनी चाहिए पर मैं नहीं कर पाई I am Sorry प्लीज मुझे माफ कर दो। पर आज मैं भी उससे Full और Final करने के मूड में बैठा था। मैंने कहा क्या तुमको बिल्कुल भी अहसास नहीं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी। क्या अब यही ईमेज रह गई है मेरी तुम्हारी नजरों में। क्या सिर्फ इतना ही ट्रस्ट करती हो तुम मुझ पर। उसने कहा ऐसी कोई बात नहीं है मैं तुमको बिल्कुल सच कह रही हूं। मुझे तुम पर पूरा ट्रस्ट है। मैंने कहा I am Sorry जान बट मुझे लगता है कि हमारा ये रिलेशनशिप अब खत्म हो गया है। और इसको खत्म करने की जिम्मेदार सिर्फ तुम हो। और मैं तुमको कहना चाहता हूं कि तुम बाद में बहुत पछताओगी। क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और इसका अहसास तुमको तब होगा मैं तुमसे दूर हो जाउंगा। अब उसने मुझसे दुबारा कहा कि जान प्लीज ऐसा मत बोलो तुम्हारे अलावा मेरा अब कोई फ्रंड भी नहीं बचा अगर तुम भी मुझे छोड़ दोगे तो मैं बिल्कुल अकेली रह जाउंगी। प्लीज तुम ये रिलेशनशिप ब्रेक मत करो। मुझे तुम पर पूरा ट्रस्ट है। मैंने कहा तुम अकेली कहां हो तुम्हारी इतनी बड़ी फैमली जो है तुम्हारे साथ। अकेला तो मैं हो गया हूं। उसने कहा फैमली सब कुछ नहीं होती। मुझे तुम्हारी जरूरत है।

आज तक जितनी बातें मैंने तुमसे की हैं वो किसी से नहीं की। और मैं तुमको कहना चाहती हूं कि तुम्हारे बाद अब मैं किसी को फ्रंड भी नहीं बना सकुंगी। मैंने उससे कहा कि तुमको फ्रंड की भी जरूरत नहीं है तुम्हारी फैमली जो है। फिर मैंने उससे कहा कि आज तुमको ये पोस्ट भी इसलिए आखरी बार पढ़कर सुना रहा था क्योंकि इसके बाद मैं ये ब्लॉग भी Delete कर दूंगा और तुमको ये भी कहना चाहता हूं कि आज के बाद तुमको ये कभी नहीं पता चलेगा कि मैं कहां गया या मेरे साथ क्या हुआ। उसने कहा प्लीज ऐसा मत करो तुमको मेरी कसम है अगर तुमने ब्लॉग Delete किया या अपने साथ कुछ भी गलत किया तो मैं भी अपने साथ कुछ कर लूंगी। प्लीज 'जान' मुझ पर ट्रस्ट करो।

मैं आगे से ऐसी गलत कभी नहीं करूंगी। 'जान' मैं तुमको बहुत प्यार करती हूं। और इतना कहने के बाद वो रोने लगी और रोते हुए कहा कि मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है। करती हूं। और हमेशा करती रहूंगी। पर प्लीज तुम मेरे साथ ऐसा मत करो। मुझसे बात करना मत छोड़ों और ये रिलेशनशिप ब्रेक मत करो। तुमको पता है तुमसे बात करके मुझे कितनी खुशी मिलती है उसके बाद मैं बिल्कुल उदास हो जाती हूं और रोज रात में रोती हूं। तुमको याद करती हूं। पर हां तुम्हारे सामने मुझसे रोया नहीं जाता बल्कि तुमसे बात करके मुझे खुशी मिलती है। और भी बहुत सारी बातें हुई। और लास्ट में उसने मुझसे यही कहा कि प्लीज मुझपर ट्रस्ट रखों। मैं तुम्हारा साथ दूंगी। पता नहीं मुझसे उसके आंसू नहीं देखे जाते मैंने उससे कहा कि ठीक है मैं तुमपर ट्रस्ट करूंगा। पर तुम वादा करो की तुम मेरा साथ दोगी। उसने कहा हां दूंगी।

तूफानों में किनारे मिल जाते हैं,
जिंदगी में सहारे मिल जाते हैं,
कोई चीज जिंदगी से प्यारी नहीं होती,
पर कुछ लोग जिंदगी से प्यारे हो जाते हैं

Thursday, January 1, 2009

'जान' हैप्पी न्यू ईयर'

आज अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आ रहा है। आखिर मैंने ही कौन से पाप किए हैं कि ये सब मेरे साथ होता है। जो सोचता हूं। जैसा चाहता हूं। हमेशा उसका उल्टा ही होता है। आज भी उसने फोन नहीं किया। ये दो दिन मेरे लिए कैसे निकले हैं कोई भी इनका अन्दाजा नहीं लगा सकता। दो दिन दो जन्मों के समान लग रहे हैं। आज 1 जनवरी है। मैं सोच रहा था कि आज तो वो जरूर फोन करेगी। मैं साल का पहला दिन उसकी आवाज सुनकर शुरू करना चाहता था। और इसके लिए मैं अपने घर से भी जल्दी निकल गया। वो भी सुबह-सुबह मम्मी से झगड़ा करके। मम्मी आज सुबह-सुबह नए साल पे मेरे लिए हलवा बनाकर मुझे खिलाना चाहती थी। पर मैं टाईम कम होने के कारण उनसे झगड़ा कर बैठा और साल के पहले ही दिन उनका भी दिल दुखा दिया। फिर भाई से भी झगड़ा कर लिया। ये सब किसलिए सिर्फ उससे बात करने के लिए। क्योंकि रात को उसका मैसेज आया था:- ''Hi Jaan Happy New Year in advance will talk 2 you tomorrow I Love You" इसलिए घर से जल्दी निकलना चाहता था। पूरी रात जागता रहा उसी के ख्यालों में खोया रहा। सुबह सबसे पहले उठ कर अपना मोबाईल देखा और उसका फोटो देखकर उसे 'किस' किया और उसे Happy New Year कहा। फिर सबसे पहले उठकर नहा-धोकर पुजा भी कर ली। तब तक मम्मी भी मन्दिर से आ गई। मैंने मम्मी को कहा जल्दी से नाश्ता दे दो और खाना पैक कर दो मुझे जाना है। और इसी बात पर मेरा मम्मी से झगड़ा हो गया। थोड़ा लेट तो हो ही चुका था। फिर भी जल्दी भागता हुआ घर से निकला और जैसे-तैसे ऑफिस पहुंचा। तब तक काफी देर हो गई थी और रास्तेभर में मेरा पूरा ध्यान मेरे मोबाईल पर ही था। रास्ते में बार-बार उसे जेब से निकाल कर देखता था कि कहीं उसका फोन न आ जाए। फिर जेब से निकालकर हाथ में ही पकड़ लिया। तब तक 10.30 बज गए थे अब दिल में एक अजीब सी घबराहट होने लगी और मैं समझ गया कि अब उसका फोन नहीं आयेगा। ऑफिस आकर मायूस होकर जैसे ही अपनी सीट पर बैठा और मोबाइल टेबल पर रखा तभी उसका एक मैसेज आ गया:- Hi Jaan Wish you a Happy New Year Sory आज कॉल नहीं कर पाई वहां की छुट्टी है कल पक्का करूंगी, प्लीज गुस्सा मत होना 'आई लव यू'।'' ये मैसेज पढ़कर मेरी सारी आशाएं टूट गई जो मैं कल से उसके लिए लगा कर बैठा था। क्या उसको बिल्कुल भी अहसास नहीं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी। क्या उसकी फैमली ही उसके लिए सब कुछ है मैं कुछ नहीं। क्या मेरे प्यार की इतनी ही कीमत रह गई है उसके लिए। सिर्फ दो लाईन का मैसेज। क्या ये तड़प सिर्फ मुझ अकेले की है। क्या उसको कोई फर्क नहीं पड़ता। सच ये सब सोचकर आज मेरी आँखे भर आई। 'जान' हैप्पी न्यू ईयर'

दिल के बाजार में मैं सबसे गरीब हूं,
ख्वाबों की दुनिया में एक ही बदनसीब हूं,
उनके पास मेरे लिए वक्त ही नहीं,
और लोग समझते हैं कि मैं उनके सबसे करीब हूं।