Wednesday, January 7, 2009

"उसने दिया मेरे साथ का वादा"

आज दिल को बहुत सुकून मिल रहा है। ऐसे लग रहा है कि जैसे बरसो से किसी के इंतजार में बैठे कसी नाउम्मीद को उम्मीद की एक किरण मिल गई हो। पिछले दो दिन ऐसे गुजरे जैसे किसी ने सजा-ए-कालापानी की सजा दे दी हो। ऐसी अनवरत सजा जिसका की पता नहीं कब खत्म होगी। पर शायद भगवान को मुझ पर जल्दी दया आ गई और उसने इस सजा-ए-कालापानी की सजा से मुक्त करा दिया। उसने दुबारा अपना विश्वास मुझ पर बनाया है। पहले डर लग रहा था कि पता नहीं मैं उस पर विश्वास कर भी पाउंगा या नहीं। पर अब उसकी बातों से और उसकी बेताबी को देखकर ऐसा लगता है कि वो अभी भी मुझे चाहती है और मुझे खो देने के डर से सहम जाती है।

कल से मुझसे बात करने के लिए बेताब है जब भी मौका मिलता मुझसे चैट करने आ जाती। मैं अगर प्रोपर रिपलाई नहीं दे पाता या नेट की प्रोब्लम की वजह से उस तक रिपलाई नहीं जाता तो वो घबरा जाती और बार-बार मुझसे यही पूछती की जान क्या हुआ अभी भी मुझसे गुस्सा हो क्या? या अभी भी मुझ पर ट्रस्ट नहीं है? फिर बात क्यों नहीं कर रहे हो। मैं उसको बार-बार यही कहता कि जान मैं अब तुमसे गुस्सा नहीं हूं। मुझे तुमपर ट्रस्ट है। पर ये सब प्रोब्लम नेट की है। तब उसको यकीन होता कि मैं गुस्सा नहीं हूं। कल मुझसे बात करने की जल्दी में वो नाश्ता भी करके नहीं गई। और शाम को जब मैंने उससे पूछा कि कैसी हो तो उसने बताया कि जान कुछ नहीं सिर्फ पेट में Acidity हो गई है, क्योंकि सुबह तुमसे बात करने की जल्दी में नाश्ता करके नहीं गई। और अब आकर कड़ी-चावल खा लिए इस कारण Acidity हो गई है। पर अब तुमसे बात करने के बाद मुझे अच्छा लग रहा है। बस तुम मुझसे गुस्सा मत होना।

आज सुबह 10.21 मिनट पर भी उसका फोन आया फोन पिक करते ही उसने हंसते हुए 'हाय' कहा मैंने भी हाय कहा। आज उसकी हंसी सुनकर दिल को बहुत सुकून मिला। उसने कहा जान एक 'गुड न्यूज' है। मैंने पूछा वो क्या? उसने कहा जान मुझे मोबाइल मिल गया है। पर नम्बर अभी नहीं मिला है। वो भी जल्दी ही मिल जाएगा। मैंने उसे कांग्रेच्यूलेशन कहा। उसने कहा क्या हुआ तुमको खुशी नहीं हुई। मैंने कहा हां मैं खुश हूं पर नम्बर कब मिलेगा। उसने कहा जान मैं जल्दी ही ले लूंगी तुम चिंता मत करो। मैंने उसको कहा कि जान उस दिन मुझे लगा कि अब सब कुछ खत्म हो गया है। अब शायद दुबारा हम कभी बात नहीं कर पाएंगे। उसने कहा जान तुम ही हर बार मुझे दूर जाने की और बात ना करने की बात करते हो। मैं तो तुमसे दूर नहीं होना चाहती। मैंने उससे पूछा। जान यू ट्रस्ट मी। उसने कहा यस आई ट्रस्ट यू। वरना रोज तुमसे बात करने क्यों आती। मैंने उससे कहा जान मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। उसने कहा जान आई लव यू टू। मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आती है। तुमसे दूर होकर रहना मुझे भी पसंद नहीं है। फिर मैंने उससे पूछा कि फिर कभी मुझसे झुठ बोलोगी। उसने कहा कभी नहीं। झुठ बोलना छोड़ दिया है मैंने।

उसने कहा जान हम जल्दी ही मिलेंगे तुम फिक्र मत करो। मैंने उससे कहा जान तुम बस हमेशा मेरा साथ देना। कभी भी मेरा साथ मत छोड़ना। उसने कहा मैं कभी तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगी। फिर मैंने कहा जान अपना ख्याल रखना और खाना टाईम से खाना और मेडीसन भी टाईम से लेना। उसने कहा जान तुम भी अपना ख्याल रखना। मैंने पूछा अब कब बात करोगी। उसने कहा जान मैं कल भी तुमसे बात करूंगी। तुमसे बात करने का मन कर रहा है। हो सका तो चैट भी करेंगे। जाते-जाते मैंने उसको इतना बोला कि जान 'आई मिस यू'। उसने भी कहा मैं भी तुमको बहुत मिस करती हूं। मैं कल जरूर बात करूंगी। 'आई लव यू'

2 comments:

मोहन वशिष्‍ठ said...

भाई Acidity का क्‍या हाल है अब बाकी आप मेरी एक कविता पढना कविता का शीर्षक है
नहीं करता मैं याद
ये रहा लिंक एक बार अवश्‍य पढना और बताना कैसी लगी

http://mohankaman.blogspot.com/2008/06/blog-post_12.html

दिल का दर्द said...

मोहनजी acidity तो ट्रान्सफर होकर वहां से यहाँ आ गयी है. और आपकी कविता बहुत सुंदर है

नही करता मैं तुमको याद क्योंकि याद करने के लिए पड़ता है भूल जाना. बिल्कुल ठीक कहा है. मेरे भी दिल को छू गया.