Monday, January 5, 2009

"तनहा अब जीते हैं"


वक्त बगावत करने लगे,
दोस्त आज दुश्मन बनने लगे।
जिसे हम अपना समझते थे,
वो भी दूर मुझसे रहने लगे।
दुश्मन भी अब हंसने लगे,
दोस्त भी दूर हटकर रहने लगे।
काश हमारा दिल ही बताए,
कौन मेरा जो दिल लौटाए।
वक्त ने मारा तुम न मारो,
उम्मीदों का मुझसे तुम बौछार करो।
मुझे दर्द मेरा दोस्त खफा,
हम घूंट-घूंट कर जीने लगे।
तनहा अब जीते हैं,
दुनियां के हम गम पीने लगे।
लोग हमसे अब कहने लगे,
दोस्त क्यों खफा तुमसे रहने लगे।
दुनियां वाले मुझपे बरसने लगे,
संकट के बादल अब गरजने लगे।

3 comments:

दिगम्बर नासवा said...

स्वागत है
ऐसी ही लिखते रहें

Unknown said...

काश कि दुनिया आपके प्यार को समझ पाती... पर मेरे भाई आपके ब्लाग को ब्लाग ही समझा जा रहा है और आपके दर्द के प्रिन्ट्स निकाल कर अपनी अपनी लव स्टोरी को ठीक करने में लगे हैं... प्यार को सिर्फ प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो..

दिल का दर्द said...

दोस्त अगर मेरे ब्लॉग से कोई अपना प्यार पा ले तो मुझे खुशी. हमें हमारा प्यार नही मिल सका पर भगवान् से यही गुजारिश है की उन सबको अपना प्यार मिल जाए.