Friday, January 16, 2009

"हमारी दुआ कुबूल हो"

कल दोपहर 1 बजे तक जब उसका कोई मैसेज नहीं आया तो मेरी बेचैनी फिर से बढ़ गई। क्योंकि जैसाकि सुबह मैंने उससे बात की थी उसने बताया था कि आज वो शॉप पर जाकर अपना मोबाइल रिचार्ज करवाएगी। क्योंकि इतने दिनों से उसके मोबाइल से न तो मेरे मोबाइल पर कॉल हो पा रही है न ही मिस कॉल। सिर्फ मैसेज ही हो पाते हैं। क्योंकि अपने भाई को उसने दो बार रिचार्ज के लिए पैसे दिए पर उसने एक बार भी रिचार्ज नहीं करवाया और बोल दिया कि मैंने रिचार्ज करवा दिया। इसलिए मैंने उसको बोला कि तुम खुद जाकर अपना रिचार्ज करवाओं उसकी बातों में मत आना वो झुठ बोल रहा है। इसलिए जब क्लास के बाद 1.20 तक भी उसका कोई मैसेज नहीं आया तो मेरी टेन्शन बढ़ने लगी मैंने उसे दुबारा कॉल की पर उसने नहीं उठाया। ऐसे ही मेरे 4-5 बार कॉल करने पर भी कोई रिस्पोंस नहीं मिला। अब मेरी घबराहट और बढ़ गई क्योंकि ऐसा कभी नहीं हुआ कि वो मेरा फोन पिक न करे। उसके 10 मिनट बाद मैंने जब फिर से नम्बर मिलाया तो वो Switch Off बताने लगा। बस उसके बाद तो मेरी हालत खराब हो गई आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा। दिल की धड़कने अचानक इतनी तेज चलने लगी जैसी शताब्दी ट्रेन। इतनी ठण्ड के बावजूद अचानक पूरा शरीर पसीने से भीग गया। जमीन ऐसे लगने लगी जैसे की घूम रही हो। एक जगह आराम से बैठने का भी मन नहीं कर रहा था। और मैं इधर उधर पागलों की तरह घूमने लगा पर कहीं भी मुझे चैन नहीं मिला। लंच का टाईम हो रहा था पर मुझे कुछ भी खाने या पीने का मन नहीं कर रहा था। मुझे बस ये लग रहा था कि किसी तरह उससे एक बार बात कर लूं उसका कोई मैसेज आ जाए। मन में तरह-तरह के विचार आने लगे। कहीं उसका मोबाइल उसके घर वालो के पास तो नहीं चला गया। कहीं फिर से उसके घरवालों को सब कुछ पता तो नहीं चल गया। कहीं हम फिर से तो हमेशा के लिए अलग नहीं हो जाएंगे। बस यही सब सोच-सोचकर मेरा दिल बैठा जा रहा था। जीने की इच्छा खत्म सी होती जा रही थी। उन कुछ पलों मैं पता नहीं मैं कितनी बार मरा। तभी कुछ मिनट बाद उसका मैसेज आया उसने लिखा कि-

''जान क्लास से तो निकल गई हूं पर मेरी कर्जन मेरे साथ है इसलिए मैं फोन पिक नहीं कर पाई Sorry तुम खाना खा लेना।''

उस मैसेज को पढ़कर मेरी जान में जान आई और दिल को सुकून मिला। उसके बाद मैंने दुबारा उसको कोई कॉल नहीं की डर लग रहा था कि कहीं उसका मोबाइल किसी और के पास न हो। फिर शाम को दुबारा उसका एक मैसेज आया-

''जान Sorry फोन पिक नहीं कर पाई मैं कर्जन के साथ थी, जानू अभी कर्जन के साथ ''हर श्रीनाथ जी'' की दरगाह से आई। तुम्हें मांगने गई थी, माथा टेक कर आए। जान गुस्सा तो नहीं हो प्लीज मत होना मुझे समझों आई लव यू''

ये मैसेज पढ़कर मैं बहुत खुश हुआ। यानी वो भी हमारे रिश्तें को बचाना चाहती है। इसका मतलब वो भी चाहती है कि हम दोनों एक हो जाएं। और इसके लिए वो भी दरगाह पर जाकर अपना माथा टेक कर मुझे मांगती है। मेरे दिल से तो यही दुआ निकली की भगवान हमारी दुआ कुबूल हो। हमको कभी अलग मत करना। हम दोनों का साथ हमेशा बनाए रखना। उसके बाद मैंने उसे शाम को फिर से फोन किया और उसने मुझे पूरे दिन की सारी कहानी बताई की कैसे आज उसकी कर्जन उसके साथ ही घर पर आ गई थी और पूरा दिन उसी के साथ थी और फिर हम दोनों ''हर श्रीनाथ जी'' की दरगाह पर गए और मैंने माथा टेक कर तुमको मांगा। हम काफी देर तक बातें करते रहे। पता नहीं आजकल क्या हो गया है बस हर पल ऐसा लगता है कि उसी से बात करता रहूं। कुछ देर भी उससे बात नहीं करता हूं तो बेचैन हो जाता हूं। बस भगवान से यही दुआ है कि हमारी दुआ कुबूल हो।

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