Monday, January 12, 2009

"'जान' प्यार में विश्वास जरूरी"

कुछ बातों को लेकर कई दिनों से मेरी उससे फिर से नोकझोक हो गई। तीन दिन पहले उसका मोबाईल उसे मिल गया। मैं बहुत खुश था। वीरवार को उसने मुझे ये बात बताई पर उस दिन उसका मोबाइल एक्टिव नहीं हुआ था। हम दोनों काफी एक्साईटिड थे। मैंने उससे बोला कि जान क्या तुम कल भी (शुक्रवार) को भी फोन करोगी। उसने कहा हां जान मैं एसटीडी से तुमको कॉल करूंगी। मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हारा वेट करूंगा। पर वीरवार की शाम को चैट पर उसने मुझे बताया कि जान मैं कल तुमको फोन नहीं कर पाउंगी क्योंकि मेरी क्लास की छुट्टी है। इंस्ट्टीयूट का कोई प्रोग्राम है। ये सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा। पर उस समय मुझे एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वो मुझसे झुठ बोल रही है। मैंने उससे सिर्फ इतना कहा कि जान तुमसे बात करने का बहुत मन कर रहा था। उसने भी कहा हां मेरा भी मन था पर क्या करूं।

अगले दिन भी मैं सिर्फ यही सोच रहा था कि काश! आज वो फोन करती कितना अच्छा लगता। खैर लगभग 1 बजे के करीब मुझे एक मिस कॉल आई मुझे पता था कि ये उसी का नया नम्बर है। मैंने फौरन उसे कॉल बैक किया और उसे कांग्रेच्युलेट किया। उसने भी हंसते हुए मुझसे कहा ओ..... थैंक्यू... जान नम्बर चालू हो गया है। मैं बहुत खुश था। मैंने उसे कहा हां फाईनली एक्टिव हो ही गया। वो भी काफी एक्साईटीड थी। मैंने ऐसे ही उससे पूछ लिया कि जान कब एक्टिव हुआ ये? उसे भी एक्साईटमेंट में याद नहीं रहा और उसके मुंह से सच निकल गया उसने कहा कि जान अभी बस क्लास में बैठी थी तभी मैंने चैक किया तो Conformation मैसेज आया हुआ था।

मैंने उससे पूछा कि एक मिनट तुमने क्या बोला क्लास में, पर आज तो तुम्हारी छुट्टी थी। वो एक मिनट के लिए चौक गई और बात को टालने के लिए बोलने लगी कि जान हां मैं क्लास में नहीं घर पर हूं। मैं नीचे बच्चों को पढ़ा रही थी और तभी मैंने मोबाइल चैक किया। और फिर मम्मी ने मुझे छत पर से कपड़े उतारने के लिए भेजा इसलिए मैं छत पर हूं। पर मैं समझ गया कि वो घर पर नहीं बाहर है। क्योंकि उसके आसपास से ट्रेफिक की आवाजें आ रही थी। मैंने उससे कहा कि तुम झुठ बोल रही हो तुम बाहर हो मुझे ट्रैफिक की आवाजें आ रही हैं उसने फिर झुठ बोला कि हां मैं छत पर हूं ना इसलिए आसपास के ट्रैफिक की आवाजें आ रहीं हैं। पर मैं समझ गया था कि वो मुझसे झुठ बोल रही हैं। उस वक्त मुझे बहुत बुरा लगा कि ये तीन दिन भी अपना विश्वास मुझ पर नहीं रख पाई। पर वो थी कि इतना सब होने पर भी अपनी गलती मान नहीं रही थी। अब मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उससे कहा की तुम सच बोल रही हो ना। उसने कहा हां। मैंने कहा ठीक है तो क्या मैं अभी तुम्हारे इंस्ट्टीयूट में फोन करके पता करूं की आज वहां छुट्टी है कि नहीं। अब वो फंस गई। उसने कहा कि जान Sorry मुझसे गलती हो गई। मैंने पूछा यार क्या है ये सब तुमने मुझसे फिर से झुठ बोला। और पकड़ी गई तो भी मुझे एक्सक्यूज दे रही हो। तुमने मुझसे झुठ क्यों बोला। उसने कहा जान Actually में मेरे पास पैसे खत्म हो गए थे। एसटीडी से फोन करने के लिए इसलिए मैंने तुमसे झुठ बोला सिर्फ मजाक में कि आज क्लास की छुट्टी है। पर जैसे ही नम्बर एक्टिव हुआ मुझसे नहीं रहा गया। तुमसे बात करने का मन हुआ। और मैं पकड़ी गई। मैंने उससे कहा कि जान ये सब करने की तुमको जरूरत ही क्या थी। अगर तुम्हारे पास पैसे नहीं थे तो तुम मुझे सच बता देती। मैं क्या तुम्हारी प्रोब्लम को नहीं समझता? तुमने तो इसका मतलब मुझे गैर समझ लिया। यानी की मैं तुम्हारी नजरों में कोई अजनबी हूं जिस पर तुमको बिल्कुल भी ट्रस्ट नहीं है। उसने कहा Sorry जान माफ कर दो क्या ये बताते हुए अच्छा लगता कि मेरे पास पैसे नहीं है इसलिए मैं कॉल नहीं कर पाई। मैंने कहा कि इसका क्या मतलब है यार मैं क्या तुम्हारे लिए अजनबी हूं। या हमारे बीच ऐसी कोई छुपी हुई बात है। जान हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं। एक-दूसरे से शादी करने के सपने देख रहे हैं जब हम एक दूसरे पर इतना भी विश्वास नहीं दिखाएंगे तो फिर हमारे प्यार करने का क्या मतलब। इसका मतलब ये सब दिखावा है। मन बहलाने का साधन है। कोई बच्चों का खेल है जब तक मन किया एक-दूसरे से खेलते रहे और जब मन भर गया तो जिन्दगी से निकाल कर बाहर फैंक दिया। उसने कहा नहीं ये कोई खेल नहीं है मैं तुमसे सच्ची में प्यार करती हूं। पर सच में मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो।

इसलिए पिछले तीन दिन से मैं उससे ठीक से बात नहीं कर रहा हूं। पर वो बार-बार मुझे कॉल कर रही है और मैसेज कर रही है और माफी भी मांग रही है। पर पता नहीं क्यों अब उस पर विश्वास करने का मन नहीं करता। ऐसा लगता है कि जब ये अभी से मुझसे झुठ बोल रही है तो फिर ये कैसे आखिर तक मेरा साथ निभाएंगी। आज भी उसका फोन आया। उसने मुझे फिर convince करने की कोशिश की कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। मुझसे गलती हो गई कि मैंने तुमसे झुठ बोला। मैं बार-बार उसको यही समझा रहा था कि देखो जान अगर तुमको आखिर में जा के मुझे धोखा देना है तो इस सब रिलेशनशिप की कोई जरूरत नहीं है। मैंने उससे पूछा कि जान तुम आखिर मुझसे चाहती क्या हो। हमारे इस रिलेशनशिप का आखिर क्या मतलब है। तुम मुझसे क्या रिलेशनशिप चाहती हो। क्या सिर्फ फ्रेंडशिप रखना चाहती हो। सिर्फ अगर दोस्ती तक ही रखना चाहती हो तो भी मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है। अब आगे से मैं सिर्फ तुमसे एक फ्रैंड की तरह ही बात करूंगा। पर उसने रोते हुए कहा कि I am sorry जान मुझसे गलती हो गई। मैं फ्रैंडशिप से ज्यादा का रिलेशनशिप रखना चाहती हूं। मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं। और मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी। प्लीज इस बार मुझे माफ कर दो। मैं आगे से तुमको कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी।

मैंने उससे सिर्फ इतना ही बोला की जान हम जिस रिलेशनशिप की बात कर रहे हैं उसमें हम दोनों को एक दूसरे पर विश्वास होना बहुत जरूरी है। बिना विश्वास के ये रिलेशनशिप आगे नहीं बढ़ सकता।


इंतजार उस दिन का करूंगा,
जिस दिन यकीन आपको मेरी चाहत पर होगा,
दिल में हम आपके होंगे,
और लबो पे नाम हमारा होगा।

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