Tuesday, January 27, 2009

"दिल अभी उदास है"


दिल अभी उदास है,
और वक्त बीता नहीं।
नसीब की किताब से,
हिसाब जीता नहीं।


टूटा है जब भ्रम,
आंखे होती हैं क्यूं नम।
क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।

ये कौन से सवाल हैं,
जवाब सूझता नहीं।
जहां भर की बात की,
जो बात थी नहीं कही।

वो कौन सी है बेबसी,
वो कौन सा अजब है।
की जिसके रू से आज,
मेरा नाम भी खराब है।

दिल अभी उदास है.......

3 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.

दिगम्बर नासवा said...

टूटा है जब भ्रम,
आंखे होती हैं क्यूं नम।
क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।

लगता है गहरी वेदना हैं आपके मन में.............
पर आप सफल हैं उन वेदनाओं को सही तरह से कागज़ पर उतारने के लिए

Dr.Bhawna Kunwar said...

क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।

क्या बात है...