Friday, January 30, 2009

"सीने में सांसें भी पराई सी लगती हैं"


यादों की धुंध में आपकी परछाईं सी लगती है,

कानों में गूंजती शहनाई सी लगती है,

आप करीब हैं तो अपनापन है,

वरना सीने में सांसें भी पराई सी लगती हैं।

4 comments:

makrand said...

wah ji kya phalsafa hey
chitra bhi accha hey

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत खूब!

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा कह कर निकल सकता सरलता के साथ.

किन्तु चित्र कुछ विभत्स सा लगा, कविता की सुन्दरता और कोमलता खराब हो गई इससे.

आप अपने से लगते हो, इसलिये यह साफगोई...आशा है अन्यथा न लेंगे.

bijnior district said...

शानदार मुक्तक । पर चित्र इसके अनुरूप नही है।