दिल अभी उदास है,
और वक्त बीता नहीं।
नसीब की किताब से,
हिसाब जीता नहीं।
टूटा है जब भ्रम,
आंखे होती हैं क्यूं नम।
क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।
ये कौन से सवाल हैं,
जवाब सूझता नहीं।
जहां भर की बात की,
जो बात थी नहीं कही।
वो कौन सी है बेबसी,
वो कौन सा अजब है।
की जिसके रू से आज,
मेरा नाम भी खराब है।
दिल अभी उदास है.......
और वक्त बीता नहीं।
नसीब की किताब से,
हिसाब जीता नहीं।
टूटा है जब भ्रम,
आंखे होती हैं क्यूं नम।
क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।
ये कौन से सवाल हैं,
जवाब सूझता नहीं।
जहां भर की बात की,
जो बात थी नहीं कही।
वो कौन सी है बेबसी,
वो कौन सा अजब है।
की जिसके रू से आज,
मेरा नाम भी खराब है।
दिल अभी उदास है.......
3 comments:
बहुत बढ़िया.
टूटा है जब भ्रम,
आंखे होती हैं क्यूं नम।
क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।
लगता है गहरी वेदना हैं आपके मन में.............
पर आप सफल हैं उन वेदनाओं को सही तरह से कागज़ पर उतारने के लिए
क्यूं मंजिल करीब हो,
तो हार जाते हैं कदम।
क्या बात है...
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